हैदराबाद, 2 जून (एजेंसी)तेलंगाना राष्ट्र समिति के वरिष्ठ नेता और तेलंगाना के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ई. राजेंद्र ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिनों पहले उन्होंने पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। हुजूराबाद निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राजेंद्र सत्तारूढ़ टीआरएस के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सीधा अध्यक्ष को इस्तीफा पत्र देना चाहता था लेकिन मैं उनसे मिल नहीं पाया, तो इन परिस्थितियों में मुझे विधानसभा सचिव को अपना इस्तीफा सौंपना पड़ा।” इस्तीफा देने से पहले राजेंद्र ने पत्रकारों से कहा कि उनके कई शुभचिंतकों ने उन्हें इस्तीफा न देने की सलाह दी लेकिन वह अपने निर्वाचन क्षेत्र और तेलंगाना के लोगों के आत्म सम्मान की खातिर ऐसा कर रहे हैं। राजेंद्र के करीबी सूत्रों ने बताया कि वह राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की मौजूदगी में 14 जून को भगवा पार्टी में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने बताया, ‘‘उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व से सीधे मुलाकात की थी। आलाकमान ने उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।” राजेंद्र के अलावा टीआरएस के कुछ और नेता भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। राजेंद्र को उन शिकायतों के बाद पिछले महीने मंत्रिमंडल से निकाल दिया गया था कि उनके परिवार के सदस्यों के मालिकाना हक वाली कंपनियों ने राज्य में जमीनों पर कब्जा किया हुआ है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।