Flood Alert पंजाब हाई अलर्ट पर, ब्यास नदी का कहर: होशियारपुर के 35 गांव जलमग्न, धान-गन्ने की फसलें तबाह
Flood Alert हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश का असर अब पंजाब पर साफ दिखने लगा है। पोंग और भाखड़ा बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी ने सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के जलस्तर को खतरनाक स्थिति तक पहुंचा दिया है। इसके चलते पंजाब सरकार ने पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
मुख्य सचिव केएपी सिन्हा की अध्यक्षता में मंगलवार सुबह हुई उच्च स्तरीय बैठक में गुरदासपुर, अमृतसर, पठानकोट, कपूरथला, होशियारपुर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को विशेष निगरानी और आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के आदेश दिए गए।
होशियारपुर में तबाही, स्कूल-कॉलेज बंद
होशियारपुर जिले के टांडा क्षेत्र में ब्यास नदी का पानी गांवों में घुस आया है। अब तक 35 से ज्यादा गांव जलमग्न हो चुके हैं। प्रशासन ने हालात को देखते हुए सभी स्कूल और कॉलेज 28 अगस्त तक बंद रखने का आदेश जारी किया है।
ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का पानी घरों और खेतों में भरने लगा है। मोटला और मेहताबपुर के पास बंधों में करीब 100-100 फीट चौड़े दरारें आ गईं, जिससे पानी का तेज बहाव गांवों की तरफ बढ़ गया।
फसलें बर्बाद, घर जलमग्न
कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है। गंधोवाल, रारा मंड, तलही, सलेमपुर और मेवा मियानी गांवों में धान और गन्ने की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है। हलेर जनार्दन, कोलियां और अब्दुल्लापुर गांवों में घरों में पानी भर गया है।
कोलियां गांव की हालत सबसे ज्यादा गंभीर बताई जा रही है, जहां लगभग हर घर में पानी घुस चुका है। महिलाएं और बच्चे छतों पर शरण लेने को मजबूर हुए। राहत कार्यों में जुटी एनजीओ और स्वयंसेवकों ने नावों की मदद से 60-70 महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
प्रशासन की राहत और मुआवजे की घोषणा
पंजाब के जल संसाधन मंत्री ने प्रभावित गांवों का दौरा किया और भरोसा दिलाया कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि 276 करोड़ रुपये की राशि बाढ़ सुरक्षा और राहत कार्यों के लिए जारी की गई है। प्रभावित गांवों में राहत शिविर लगाए गए हैं और पीड़ित परिवारों को खाने-पीने का सामान, साफ पानी, दवाइयां और मच्छरदानी उपलब्ध कराई जा रही है।
कपूरथला का संकट और ग्रामीणों का संघर्ष
सुल्तानपुर लोधी के आहलीकलां गांव में सोमवार सुबह एडवांस बंध टूट गया, जिससे लगभग 35 गांव डूब गए और करीब 36,000 एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई।
पर्यावरण कार्यकर्ता संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि ग्रामीण और स्वयंसेवक पिछले एक महीने से अस्थायी बंध को बचाने की कोशिश कर रहे थे। वे बारी-बारी से ड्यूटी करते, बोरियों से मिट्टी भरकर बांध को मजबूत करने का प्रयास करते रहे।
आहलीकलां गांव के निवासी शामिंदर सिंह ने भावुक होकर कहा कि हमने पूरी रात बारिश में सिर पर बोरियां रखकर बंध बचाने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार ब्यास का दबाव इतना बढ़ गया कि वह टूट ही गया। अब ब्यास नदी का बहाव सीधे मुख्य धुस्सी बंध की तरफ बढ़ रहा है। खतरे को देखते हुए प्रशासन ने हरिके हेडवर्क्स से पानी का बहाव और बढ़ा दिया है ताकि दबाव कम हो सके।
अभी भी सतर्क रहने की जरूरत
मुकैरियां सब-डिवीजन में पानी का स्तर कुछ कम हुआ है, लेकिन लोग अब भी चौकन्ने हैं। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और गांवों में कीचड़ और गंदगी फैल गई है। हालात को देखते हुए सरकार ने गांव-गांव में निगरानी टीमें तैनात की हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी मोबाइल यूनिट्स भेजी हैं ताकि संक्रमण और मलेरिया जैसी बीमारियों को फैलने से रोका जा सके।