मुंबई, 25 जून (एजेंसी) शिवसेना के विधायकों के एक बड़े वर्ग की बगावत के कारण महाराष्ट्र में उपजे राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शनिवार को जानना चाहा कि गुवाहाटी और सूरत में होटल के बिल का भुगतान कौन कर रहा है। शिवसेना के ये बागी विधायक फिलहाल असम में डेरा डाले हुए हैं। राज्य में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा कर रही शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने आयकर विभाग (आईटी) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से ‘काले धन’ के स्रोत का पता लगाने के लिए भी कहा। राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने पूछा, ‘सूरत और गुवाहाटी के होटल के साथ-साथ विशेष विमानों के बिल कौन चुका रहा है? क्या यह सच है कि खरीद-फरोख्त की कीमत 50 करोड़ रुपये है?’ उन्होंने कहा, ‘अगर ईडी और आईटी विभाग सक्रिय हो जाते हैं, तो काले धन के स्रोत का खुलासा हो जाएगा।’ शिवसेना के ज्यादातर विधायक एकनाथ शिंदे के प्रति समर्थन दिखाते हुए गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं, जिससे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार संकट में है। गुवाहाटी के एक होटल में बागी विधायकों के डेरा डालने से पहले शिंदे और कई अन्य विधायक सूरत के एक होटल में ठहरे थे।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।