Film 120 Bahadur: रेजांगला युद्ध पर बनी फिल्म ‘120 बहादुर’ के खिलाफ यदुवंशी समाज का प्रदर्शन
Film 120 Bahadur: यादव सभा महेन्द्रगढ़ ने रेजांगला युद्ध पर बन रही फिल्म '120 बहादुर' के तथ्यों से परे होने आरोप लगाया है। सभा ने फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है। इस संबंध में यादव समाज के सैकड़ों महिला-पुरुषों ने यादव सभा महेन्द्रगढ़ के नेतृत्व में लघु सचिवालय में प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा।
यादव सभा के प्रधान अभय राम एडवोकेट ने बताया कि भारत के सैन्य इतिहास में रेजांगला युद्ध एक ऐसा अध्याय है जिसे वीरता, बलिदान और अपार राष्ट्रभक्ति का प्रतीक माना जाता है। 18 नवंबर 1962 को लद्दाख के रेजांगला दर्रे पर घटित यह युद्ध, चीनी सेना के विरुद्ध लड़ा गया था। इस ऐतिहासिक युद्ध में 120 वीरों की एक छोटी टुकड़ी, जिनमें 117 यदुवंशी (अहीर) सैनिक थे, उन्होंने 5000 से अधिक चीनी सैनिकों का बहादुरी से सामना किया और मातृभूमि के लिए 114 सैनिकों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह को परमवीर चक्र और नायब सूबेदार सूरजा राम यादव सहित 8 अन्य वीरों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया, लेकिन हाल ही में बॉलीवुड द्वारा इस ऐतिहासिक युद्ध पर बनाई जा रही फिल्म '120 बहादुर' ने तथ्यों को विकृत करके यदुवंशी समाज के बलिदान और गौरव को अंधकार में डालने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि युद्ध की ऐतिहासिक सच्चाई यह है कि इसमें 120 में से 117 सैनिक यदुवंशी (अहीर) थे, जो हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से थे। यह भ्रम फैलाने वाली फिल्म है। '120 बहादुर' फिल्म में 'बहादुर' शब्द का प्रयोग कर इसे गोरखा सैनिकों की वीरगाथा की तरह प्रस्तुत किया गया है, जो कि ऐतिहासिक रूप से गलत है। इसका सही शीर्षक '120 वीर अहीर' होना चाहिए। मूल इतिहास से छेड़छाड़ भी की गई है।
सभा ने कहा कि फिल्म में मेजर शैतान सिंह को 'भाटी' के रूप में दिखाकर राजपूत पहचान दी गई, जबकि सैन्य रिकॉर्ड में उनका नाम केवल 'शैतान सिंह' था । यदुवंशी भूमिका का लोप दिखाई दे रहा है। फिल्म में कहीं भी नायब सूबेदार सूरजा राम यादव, वीर चक्र और अन्य सात वीर चक्र विजेता यदुवंशी वीरों का उल्लेख नहीं किया गया। उन्होंने इस सम्बंध में हम रजनीश घई से भी संपर्क किया और उन्हें शोध सामग्री उपलब्ध करवाई। जब उन्होंने पत्रों द्वारा अपीलों को अनदेखा किया तब मजबूरन रजनीश घई और फरहान अख्तर को कानूनी नोटिस भेजा, परंतु फिर भी उन्होंने फ़िल्म में वीर चक्र और महावीर चक्र विजेता यादव वीरों का कहीं उल्लेख नही किया। इस बारे में उनका जवाब अस्पष्ट और अपमानजनक था।
सभा ने कहा कि फ़िल्म के माध्यम से यदुवंशी समाज का अपमान किया गया है। यह फिल्म हमारे पूर्वजों के बलिदान का अपमान है और आने वाली पीढ़ियों को विकृत इतिहास सिखाने का माध्यम बन रही है। ऐतिहासिक साक्ष्यों की अनदेखी की गई है। तमाम उपलब्ध सैन्य दस्तावेज़, रिपोर्ट और गवाही में यदुवंशियों की भूमिका स्पष्ट है, ऐसे में उन्हें फिल्म में स्थान न देना अन्याय है।
इसके अलावा फिल्म के लाभ का करार मेजर शैतान सिंह के परिवार से हुआ, लेकिन अन्य 8 वीर चक्र विजेताओं के परिवारों की राय नहीं ली गई, लाभ की तो दूर की बात है। पूरा यदुवंशी समाज इस विकृति के विरुद्ध संगठित होकर आवाज़ उठा रहा है। सत्य और सम्मान के लिए अन्य समुदायों से भी सहयोग लिया जाए, क्योंकि यह किसी जाति नहीं, बलिदान का मामला है। यह संघर्ष केवल वर्तमान का नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके सही इतिहास से जोड़ने का प्रयास है।
रेजांगला की लड़ाई केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि यदुवंशी वीरों की अद्वितीय बलिदान गाथा है। इस युद्ध के प्रत्येक यदुवंशी सैनिक ने यह साबित कर दिया कि मातृभूमि की रक्षा के लिए जान न्यौछावर करना उनका परम धर्म है। जब आज की युवा पीढ़ी अपनी पहचान, इतिहास और मूल्यों को जानना चाहती है, तब एक फिल्म के माध्यम से गलत इतिहास परोसना एक प्रकार की मानसिक गुलामी को जन्म देना है, इसलिए हम सब एकजुट होकर इस अन्याय का विरोध कर रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे पूर्वजों की वीरता और बलिदान की सच्ची गाथा देश और दुनिया के सामने आए। हम सरकार, सेना, सेंसर बोर्ड और निर्माता-निर्देशक से मांग करते हैं कि इस फिल्म को तब तक रोका जाए जब तक इसका शीर्षक '120 बहादुर' की जगह '120 वीर अहीर' किया जाए तथा उसमें तथ्यों को सही किया जाए और यदुवंशी वीरों का यथोचित सम्मान दिखाया जाए। एक फिल्म के माध्यम से गलत इतिहास परोसना एक प्रकार की मानसिक गुलामी को जन्म देना है, इसलिए हम सब एकजुट होकर इस अन्याय का विरोध कर रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे पूर्वजों की वीरता और बलिदान की सच्ची गाथा देश और दुनिया के सामने आए। हम सरकार, सेना, सेंसर बोर्ड और निर्माता-निर्देशक से मांग करते हैं कि इस फिल्म को तब तक रोका जाए जब तक इसका शीर्षक '120 बहादुर' की जगह '120 वीर अहीर' किया जाए तथा उसमें तथ्यों को सही किया जाए और यदुवंशी वीरों का यथोचित सम्मान दिखाया जाए। इस अवसर पर उप प्रधान संजय राव रिवासा, जगदीश यादव, विक्रम सिंह यादव, कृष्ण सिंह, कंवर सिंह, पवन यादव व सन्दीप यादव आदि भी उपस्थित थे।