Fauja Sing Last Wish : फौजा सिंह की दिली ख्वाहिश न हो सकी पूरी, ब्रिटेन में बिताना चाहते थे जिंदगी का अंतिम समय
Fauja Sing Last Wish : दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक 114 वर्षीय फौजा सिंह की यह दिली ख्वाहिश थी कि वह अपने जीवन का अंतिम समय ब्रिटेन में बिताएं, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी न हो सकी। ब्रिटेन से एक विशेष खेल कार्यक्रम के लिए पंजाब आए फौजा सिंह ने 2015 में व्यास गांव में यह इच्छा जाहिर की थी।
उन्होंने इसका कारण भी बताया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि यहां (पंजाब) चोर उचक्के हर ओर हैं। पुलिस कुछ कर नहीं पाती। कब किसको चाकू मार देंगे और कहां लूट लेंगे, कब कौन टक्कर मार कर चला जाएगा, यह कोई नहीं जानता। लंदन में ऐसा नहीं है। इसलिए अंतिम समय वहीं बिताना चाहता हूं। उनकी यह आशंका सही साबित हुई। सोमवार को फौजा सिंह (114) जालंधर स्थित अपने पैतृक गांव ब्यास में जालंधर-पठानकोट राजमार्ग पर सोमवार दोपहर बाद टहलने निकले थे। उसी समय एक भीषण सड़क हादसे में उनकी जान चली गई।
एक सवाल पर फौजा ने चिढ़ कर कहा था कि मैं यह कभी नहीं स्वीकार कर सकता हूं कि मैं बुजुर्ग हूं। मैं आपसे अधिक तेज और दूर तक पैदल चल सकता हूं। रही बात अंतिम समय की तो इसके लिए सबसे उपयुक्त जगत ब्रिटेन ही है। फौजा सिंह को जिंदगीभर यह अफसोस सालता रहा कि वह भारत के लिए एक भी पदक नहीं जीत पाए। उन्होंने अपने जीवनकाल में धावक के रूप में जितने भी पदक जीते, वे सब बतौर ब्रिटिश नागरिक उनकी उपलब्धि थे।
पठानी कुर्ता और पायजामा पहने अपने घर में बैठे फौजा सिंह ने कहा था कि मुझे हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि मैं जब भी दौड़ा, और जितने भी मेडल लिए, उनमें से एक भी भारत के लिए नहीं था। लोग मुझे ब्रिटिश धावक कहते रहे। यह मुझे ठीक नहीं लगता था। क्या कर सकता हूं, मैं ब्रिटिश नागरिक हो चुका हूं। आह भरते हुए और पदकों को दिखाते हुए फौजा ने कहा था कि काश मैं अपने मुल्क इंडिया (भारत) के लिये कोई पदक जीत पाता। यह सब मैंने जीता है, लेकिन ये मेरे काम का नहीं है क्योंकि एक भी पदक भारत के लिये नहीं है।''
दौड़ने का जुनून उनकी रगों में लहू बनकर बहता था। उन्होंने कहा था कि मैं जब तक दौड़ न लगा लूं, तब तक सेहत अच्छी नहीं लगती। 2015 में उस समय 104 साल के रहे फौजा ने उम्र के इस पड़ाव पर भी अपनी तंदुरूस्ती का राज खोलते हुए कहा था कि मैं तंदरुस्त और पूरी तरह फिट हूं, इसका मूल कारण है -पिन्नी और दिली खुशी। मैं हमेशा खुश रहता हूं और रोज पंजाबी ‘पिन्नी' खाता हूं। पिन्नी खाने के बाद मैं एक गिलास गुनगुना पानी पीता हूं। रात में सोने से पहले एक गिलास दूध और हर मौसम में खाने में दही जरूर खाता हूं। यहां (भारत में) या वहां (ब्रिटेन) मैं कहीं भी रहूं, मैं ये चीजें जरूर खाता हूं और हमेशा प्रसन्न रहता हूं। यही मेरी तंदुरुस्ती का सबसे बड़ा राज है।
उम्र के आठवें दशक के पूर्वार्द्ध में दौड़ शुरू करने वाले फौजा ने कहा था कि पिन्नी के बगैर मैं एक दिन भी नहीं रह सकता। मुझे रोज चाहिए। अब पंजाब आधुनिकता की दौड़ में शामिल हो गया है। यहां पिन्नी नहीं मिल रही है, जिसके लिए यह सबसे अधिक मशहूर है। विभिन्न देशों में मैराथन दौड़ लगा चुके फौजा का कहना था कि यहां से अच्छी पिन्नी तो इंग्लैंड में मिलती है। वह ठंडा मुल्क है। वहां रहने वाले पंजाब के लोग भी पिन्नी पसंद करते हैं। ये जल्दी हजम हो जाती है।