Farmers Protest : जगजीत सिंह डल्लेवाल बोले- पंजाब को आमंत्रित किया तो 4 मई की वार्ता का करेंगे बहिष्कार
चंडीगढ़, 27 अप्रैल (भाषा)
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि अगर केंद्र पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करती है तो किसान 4 मई को केंद्र के साथ होने वाली वार्ता का बहिष्कार करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इससे पूर्व, पंजाब सरकार ने दो सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले आंदोलनकारियों को हटा दिया था। किसानों को इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र से बातचीत के लिए निमंत्रण मिला था।
डल्लेवाल ने एक वीडियो संदेश में कहा कि हमें केंद्रीय कृषि मंत्रालय से एक पत्र मिला है जिसमें हमें 4 मई की बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। केंद्र के साथ-साथ पंजाब सरकार के प्रतिनिधि भी बैठक में मौजूद रहेंगे। डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयुक्त मंच के वरिष्ठ नेता हैं। दोनों संगठनों ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर आंदोलन का नेतृत्व किया। एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उनसे चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को न बुलाने का आग्रह किया गया।
पंजाब पुलिस ने 19 मार्च को किसानों पर कार्रवाई की और उनके नेताओं को मोहाली में हिरासत में ले लिया, जब वे चंडीगढ़ में चौहान के नेतृत्व में एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक से लौट रहे थे। बाद में हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा कर दिया गया। पिछले महीने पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं से किसानों और अस्थायी ढांचों को हटा दिया, जहां वे एक साल से अधिक समय से बैठे थे। हम समझते हैं कि किसी भी मुद्दे का समाधान बातचीत के जरिए निकाला जा सकता है।
हमने हमेशा बातचीत का समर्थन किया है...लेकिन जिस तरह से पंजाब के अधिकारियों ने किसान नेताओं को गिरफ्तार किया और हमें मोर्चों से बाहर निकाला, उससे देश भर के किसान नाराज हैं। हम केंद्र से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को चार मई की बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। अगर वे फिर भी उन्हें आमंत्रित करते हैं, तो हम उस बैठक का बहिष्कार करने के लिए मजबूर होंगे...हम इस संबंध में केंद्र के जवाब का इंतजार करेंगे।
डल्लेवाल ने पिछले साल 26 नवंबर को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। पंजाब पुलिस द्वारा आंदोलनकारी किसानों पर कार्रवाई करने के एक पखवाड़े से अधिक समय बाद उन्होंने अपना आमरण अनशन समाप्त कर दिया।