चंडीगढ़, 5 जून (एजेंसी)
किसानों ने शनिवार को पंजाब और हरियाणा में भाजपा नेताओं के आवास के पास और अन्य स्थानों पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलायीं। पिछले साल कृषि कानूनों से जुड़े अध्यादेश लागू होने के दिन को किसान ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ के तौर पर मना रहे हैं। काला झंडा थामे किसानों ने इन कानूनों को वापस नहीं लिए जाने को लेकर भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि इन कानूनों से कृषक समुदाय ‘बर्बाद’ हो जाएगा। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रदर्शन स्थलों के आसपास पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी थी और बैरिकेड लगाये गये थे।
अमृतसर, जालंधर, मोहाली, अबोहर, होशियारपुर, बरनाला, नवांशहर, पटियाला, चंडीगढ़, सिरसा, जींद, करनाल, पानीपत और अंबाला में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। फगवाड़ा में अर्बन एस्टेट में किसानों ने केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश के आवास के पास कृषि कानूनों की प्रतियों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए प्रकाश के आवास की तरफ जाने वाली सड़क पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखे थे। किसानों ने मोहाली जिले में भी प्रकाश के आवास के पास प्रदर्शन किया। चंडीगढ़ में भी किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया। होशियारपुर में भाजपा कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला गया और कानून की प्रतियां जलायी गयीं।
करनाल में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों से प्रदर्शन के दौरान कानून-व्यवस्था को नहीं भंग करने की अपील की। अंबाला में किसानों ने हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के आवास के पास प्रदर्शन किया। किसानों ने अंबाला सिटी के भाजपा विधायक असीम गोयल के आवास के पास प्रदर्शन किया। पंचकूला में पुलिस ने किसानों पर तब लाठियां चलायीं, जब उन्होंने हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के आवास की तरफ जाने का प्रयास किया।
कृषि कानूनों को निरस्त करे सरकार : कांग्रेस
नयी दिल्ली (एजेंसी) : कांग्रेस ने तीनों कृषि कानूनों से जुड़े अध्यादेश जारी किए जाने के एक साल पूरा होने के मौके पर शनिवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को इन कानूनों को निरस्त करना चाहिए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि इन कानूनों के जरिए सरकार देश के किसानों को ‘बंधुआ मजदूर’ बनाना चाहती है। उन्होंने एक बयान में कहा कि मोदी सरकार तीन काले कृषि अध्यादेश आज ही के दिन 5 जून, 2020 को लेकर आई थी। मोदी ने कहा था कि महामारी की आपदा के समय वे इन काले कानून से अन्नदाता के लिए अवसर लिख रहे हैं। सही मायने में उन्होंने 25 लाख करोड़ सालाना के कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने मुट्ठीभर पूंजीपति दोस्तों के लिए ‘अवसर’ लिखा और 62 करोड़ किसानों के हिस्से में उन्होंने ‘अवसाद’ लिख दिया।’