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Farmer's Protest : केजरीवाल और आप को महंगी पड़ी किसानों की गिरफ्तारी, खाप पंचायतें हुई हमलावर

कहा, किसान नेताओं को गिरफ्तार करवाना और उनके टेंट उखाड़ना केजरीवाल को पड़ेगा महंगा
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जसमेर मलिक/जींद, 20 मार्च (हमारे प्रतिनिधि)

Farmer's Protest : पंजाब सरकार द्वारा किसान नेताओं को हिरासत में लेकर शंभू और खनोरी बॉर्डर पर लगे किसानों के तंबू उखाड़ने के फैसले पर पंजाब की भगवंत मान सरकार और खासकर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल खाप पंचायतों के निशाने पर आ गए हैं। जींद की खाप पंचायतों ने कहा कि पंजाब सरकार की कार्रवाई से अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी दोनों किसानों और आम जनता के बीच नंगे हो गए हैं।

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कंडेला खाप के प्रवक्ता जगत सिंह रेढू ने कहा कि लगभग 3 साल पहले जब मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में ऐतिहासिक किसान आंदोलन हुआ था, तब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम थे। उन्होंने दिल्ली के सीएम रहते दिल्ली पहुंचे किसानों के लिए बिजली और पानी की व्यवस्था की थी, और किसानों का साथ दिया था।

तब किसानों को लगा था कि अरविंद केजरीवाल किसानों के सबसे बड़े समर्थक हैं, लेकिन अब जिस तरह से पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने किसान नेताओं को हिरासत में लेकर शंभू बॉर्डर और खनोरी बॉर्डर पर लगे किसानों के तंबू उखाड़ दिए हैं, उससे साफ हो गया है कि केजरीवाल भी मोदी की तरह ही किसान विरोधी हैं। केजरीवाल का दोहरा चरित्र और दोगला चेहरा जनता के बीच उजागर हो गया है। किसान केजरीवाल को कभी माफ नहीं करेंगे। पंजाब विधानसभा के चुनाव जब भी होंगे, तो केजरीवाल और उनकी पार्टी को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।

माजरा खाप ने कहा, मरा हुआ सांप गले में डाल लिया केजरीवाल ने

दूसरी तरफ जींद की माजरा खाप पंचायत के प्रवक्ता समुद्र फोर ने कहा कि पंजाब की भगवंत मान सरकार ने किसान नेताओं को गिरफ्तार कर बहुत बड़ी गलती की है। शंभू बॉर्डर और खनोरी बॉर्डर को किसानों ने नहीं, बल्कि खुद हरियाणा की भाजपा सरकार ने बंद किया हुआ था। अब किसानों को जबरदस्ती उठाकर केजरीवाल ने अपने गले में वह मरा हुआ सांप डाल लिया है, जो उन्हें बहुत तकलीफ देगा। किसानों की लड़ाई केंद्र सरकार से थी।

दिल्ली में हुए किसान आंदोलन में केजरीवाल ने दिल्ली के सीएम रहते किसानों की हमदर्दी किसानों को बिजली और पानी देकर हासिल की थी। अब केजरीवाल किसानों के बीच एक्सपोज हो गए हैं। किसानों को केजरीवाल की असलियत का पता चल गया है कि केजरीवाल के लिए किसान नहीं, बल्कि राजनीति ज्यादा महत्वपूर्ण है। केजरीवाल भी दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं की तरह केवल राजनीति करते हैं। उन्हें किसानों के हितों से कोई सरोकार नहीं है।

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