मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

नहीं रहे प्रसिद्ध गजल गायक पंकज उधास

‘चिट्ठी आई है आई है’ , ‘ना कजरे की धार’, ‘ऐ गमे जिंदगी कुछ तो दे मशवरा’ जैसी हिट गीतों ने किया अमर 'चिट्ठी आई है’ गाने ने दुनिया भर में धूम मचा दी थी, इसे बीबीसी रेडियो द्वारा...
1951-2024
Advertisement

मुंबई, 26 फरवरी (एजेंसी)

दिल की रगों को चीरते दर्द, इश्क में डूबी उदास शामों और मुहब्बत की रूबाइयों को अपनी मखमली, लरजती आवाज का सहारा देने वाले मशहूर गजल गायक पंकज उधास (72) सोमवार को अपने लाखों चाहने वालों को छोड़कर चले गए। ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘इक तरफ उसका घर’, ‘चिट्ठी आई है आई है’, ‘आहिस्ता कीजिए बातें’ और ‘जीएं तो जीएं कैसे’ जैसे लोकप्रिय फिल्मी गीतों तथा मशहूर गजलों से अपने चाहने वालों के दिलों में उतरने वाले पंकज उधास का आज यहां निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। यह जानकारी उनकी बेटी नायाब ने दी।

Advertisement

एक पारिवारिक सूत्र ने बताया कि पंकज उधास ने ब्रीच कैंडी अस्पताल में पूर्वाह्न 11 बजे अंतिम सांस ली। उधास ने ‘दयावान’, ‘नाम’, ‘साजन’ और ‘मोहरा’ सहित कई हिंदी फिल्मों में पार्श्व गायक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई थी। नायाब ने ‘इंस्टाग्राम’ पर पोस्ट किया, ‘बहुत भारी मन से, हम आपको 26 फरवरी 2024 को लंबी बीमारी के कारण पद्मश्री पंकज उधास के दुखद निधन की सूचना दे रहे हैं।’ उनके परिवार में पत्नी फरीदा और बेटियां रेवा तथा नायाब हैं। उन्होंने अपनी पहली एलबम ‘आहट’ 1980 में जारी की थी और चार दशक के कॅरियर में 50 से अधिक एलबम जारी कीं। उनके सबसे मशहूर गीतों और गजलों की बात करें तो ‘ना कजरे की धार’, ‘ऐ गमे जिंदगी कुछ तो दे मशवरा’, ‘मैखाने से शराब से’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल’, ‘आज फिर तुम पे प्यार आया है’, ‘मोहब्बत इनायत करम देखते हैं’, ‘जानेमन करवटें बदल बदल’ प्रमुख हैं। उन्हें 2006 में पद्मश्री से नवाजा गया था। 17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट में संगीतज्ञों के परिवार में जन्मे उधास के पिता केशूभाई उधास वाद्ययंत्र ‘दिलरुबा’ बजाते थे। उनके दो बड़े भाई मनहर उधास और निर्मल उधास भी जाने-माने गायक हैं।

Advertisement
Show comments