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हरियाणा विधानसभा में विधेयकों का धमाका... कॉलोनी, भत्ता और आयोग सब बदल गए; 3 बड़े बिल पारित

शहरों के बाहरी औद्योगिक कॉलोनियों को मिलेगा वैध दर्जा
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हरियाणा विधानसभा ने मानसून सत्र के दूसरे दिन तीन महत्वपूर्ण विधेयक पास कर राज्य में बदलाव की नई दिशा तय कर दी। सबसे बड़ा कदम प्रदेश की अवैध औद्योगिक कॉलोनियों को वैध करने का है। अब हरियाणा के नगरपालिका क्षेत्रों के बाहर स्थापित वे औद्योगिक क्षेत्र, जहां कम से कम 50 उद्यमी सक्रिय हैं। प्रत्येक इकाई का क्षेत्रफल 10 एकड़ या उससे अधिक है, नियमित किए जा सकेंगे।

इन सभी उद्यमियों को सामूहिक रूप से राज्य सरकार के पोर्टल पर औद्योगिक अनियमित कॉलोनियों को वैध करने के लिए आवेदन करना होगा। इस प्रक्रिया से न केवल कारोबार को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि शहरों के बाहरी इलाकों में अवसंरचना और नागरिक सुविधाओं का बेहतर प्रबंध भी संभव होगा। हालांकि विपक्ष ने इस पर सवाल भी उठाए। बिना किसी बदलाव के विधेयक ध्वनिमत से पास हो गया।

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विधायकों-पूर्व विधायकों को ‘सैर-सपाटा भत्ता’

हरियाणा विधानसभा (सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेंशन) संशोधन विधेयक पास होने के बाद अब विधायक और पूर्व विधायक हर महीने दस हजार रुपये तक सैर-सपाटे के लिए ले सकेंगे। पहले मासिक पेंशन, महंगाई राहत और विशेष यात्रा भत्ते की कुल सीमा एक लाख रुपये थी, जिसकी वजह से अतिरिक्त भत्ता लेना संभव नहीं था।

नए नियम में यह सीमा हटा दी गई है, लेकिन विशेष यात्रा भत्ते की राशि अब दस हजार रुपये प्रतिमाह से अधिक नहीं हो सकती। इस बदलाव से सरकार पर सालाना लगभग 55 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा, लेकिन विधायकों और उनके परिवार के लिए यात्रा और भत्ता का अधिकार अधिक पारदर्शी और आसान हो जाएगा।

पिछड़ा वर्ग आयोग को मिली नई ताकत

हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) विधेयक के पास होने के साथ ही आयोग की शक्तियों में काफी विस्तार हुआ। अब आयोग के अध्यक्ष, सदस्य और स्टाफ कानूनी मुकदमों या उत्पीड़न से पूरी सुरक्षा पाएंगे। पिछड़ा वर्ग में किसी नागरिक वर्ग को शामिल करने या बाहर निकालने के मामले में आयोग अपनी सिफारिश देने में स्वतंत्र होगा। आयोग के अधिकारी अब किसी भी कानूनी कार्रवाई से सुरक्षित होंगे, जिससे आयोग की कार्यक्षमता और निर्णयों की प्रभावशीलता बढ़ेगी।

विरोध में भी उठे सुर

बादली विधायक कुलदीप वत्स ने इंडस्ट्री वाली कालोनियों को नियमित करने वाले विधेयक पर सीट पर बैठे-बैठे ही टिप्पणी कर दी। शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल को यह बात चुभ गई। दोनों में बहस भी हुई। विपुल गोयल बोले- में डरने वाला नहीं हूं। झज्जर विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि विधेयक में यह स्पष्ट नहीं है कि निकाय परिधि से कितनी दूरी वाली इंडस्ट्री वैध होंगी।

मापदंड भी नहीं हैं। कैथल विधायक आदित्य सुरजेवाला ने औद्योगिक कॉलोनियों के विधेयक पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह तो स्पष्ट होना चाहिए कि कौन-कौन सी इंडस्ट्री वैध हो सकेंगी। केमिकल फैलाने वाली इकाइयों को भी मान्यता मिली तो उसका नुकसान ही होगा।

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