नयी दिल्ली, 11 फरवरी (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक हाई कोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उचित समय पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े नहीं पहनने के लिए कहा गया है। न्यायालय ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर नहीं फैलाने पर भी जोर दिया। चीफ जस्टिस एनवीरमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के समक्ष छात्रों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश ने संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार को निलंबित कर दिया है। उन्होंने याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध भी किया। हालांकि अदालत ने याचिका 14 फरवरी के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध अस्वीकार करते हुए इस मामले में जारी सुनवाई का हवाला दिया और कहा कि हम प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगे और मामले पर उचित समय पर सुनवाई होगी।
कामत ने कहा कि वे कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा बृहस्पतिवार को हिजाब के मुद्दे पर दिए अंतरिम आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर रहे हैं। हाईकोर्ट का यह कहना अजीब है कि किसी भी छात्र को स्कूल और कॉलेज जाने पर अपनी धार्मिक पहचान का खुलासा नहीं करना चाहिए। न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। अधिवक्ता कामत ने सिखों के पगड़ी पहनने का जिक्र किया और कहा कि हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में सभी छात्रों को निर्देश दिया है कि वे अपनी धार्मिक पहचान बताए बिना शिक्षण संस्थानों में जाएं।
कामत ने कहा कि यह बात अनुच्छेद 25 (धर्म को मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता) के पूर्ण निलंबन के बराबर है। वहीं कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अभी तक नहीं आया है और इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट मामले पर त्वरित सुनवाई कर रहा है। हमें नहीं पता कि क्या आदेश सुनाया जाएगा, इसलिए इंतजार करें। हम देखते हैं कि क्या आदेश आता है।
यह है मामला : कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी ‘प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज’ में कुछ छात्राओं के निर्धारित ‘ड्रेस कोड’ का उल्लंघन करते हुए हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने पर, उन्हें परिसर से बाहर जाने को कहा गया, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया और राज्य भर में प्रदर्शन हुए।