पुणे, 19 दिसंबर (एजेंसी)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के सामने नशीले पदार्थों, हथियारों की तस्करी, जाली नोट और घुसपैठ जैसी चुनौतियां हैं, लेकिन बहुत से कदम उठाये सकते हैं और अपराध के मामलों में सजा की दर को फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) की मदद से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में फोरेंसिक विज्ञान के लिए क्षमता निर्माण का विस्तार करने की आवश्यकता है, ताकि अपराध के मामलों में दोषसिद्धि दर बढ़ाई जा सके।
शाह ने रविवार को पुणे के तालेगांव में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला का दौरा किया, जहां उन्होंने केंद्र के एक नये परिसर का उद्घाटन किया। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक इकाई का भी दौरा किया और वहां जवानों के साथ दोपहर का भोजन किया।
तालेगांव में एनडीआरएफ परिसर में एक संयुक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बल के काम की सराहना की। गुजरात में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना में प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की भूमिका का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हर राज्य को फोरेंसिक विज्ञान के लिए एक समर्पित कॉलेज स्थापित करना चाहिए और ऐसे संस्थान को इस विश्वविद्यालय से संबद्ध करना चाहिए। शाह ने बताया कि भारत में अपराध के मामलों में सजा की दर दुनिया में कहीं और की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य इस दर को बढ़ाना होना चाहिए। अगर हम अपराध को नियंत्रित करना चाहते हैं तो यह तब तक संभव नहीं है जब तक हम अपराधियों को सजा नहीं देते। अपराधियों को सजा देने का काम तब होगा जब हमारे पास जांच की प्रक्रिया में वैज्ञानिक साक्ष्य के लिए जगह होगी।’ उन्होंने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान के और कॉलेजों के साथ प्रशिक्षित जनशक्ति होगी। तकनीक की मदद से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वैज्ञानिक साक्ष्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सीधे अदालतों तक पहुंचे।