नयी दिल्ली, 19 सितंबर (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि देश में लाखों छात्र योग्यता के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अब समय आ गया है कि मेडिकल कॉलेजों सहित अन्य संस्थानों में पिछले दरवाजे से प्रवेश बंद हो जाएं। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी 5 छात्रों की अपील खारिज करते हुए की, जिन्हें चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) द्वारा आयोजित केंद्रीकृत काउंसलिंग में शामिल हुए बगैर ही एलएन मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, भोपाल ने 2016 में प्रवेश दे दिया था।
भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने अप्रैल 2017 में इन छात्रों का प्रवेश निरस्त करने संबंधी पत्र (लेटर ऑफ डिस्चार्ज) जारी किए। उसके बाद कई और संदेश भेजे गये, लेकिन न तो छात्रों और न ही मेडिकल कॉलेज ने उन पर कोई ध्यान दिया। कॉलेज ने याचिकाकर्ताओं को अपना छात्र मानना जारी रखा। पांचों छात्रों ने एमसीआई द्वारा जारी किए गए डिस्चार्ज लेटर रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें कहा कि उन्हें मेडिकल कॉलेज में नियमित मेडिकल छात्रों के रूप में पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाए। यह याचिका एकल न्यायाधीश ने खारिज कर दी थी। छात्रों ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की। हालांकि, न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने अपील खारिज करते हुए कहा कि पिछले दरवाजे से प्रवेश देना मेधावी छात्रों के लिए घोर अनुचित है।