नयी दिल्ली, 6 नवंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्र को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग नहीं हो। इससे पहले, कोर्ट को सूचित किया गया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग शु्क्रवार से काम शुरू कर देगा। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इसके साथ ही वायु प्रदूषण से संबंधित याचिकाओं को अब दिवाली अवकाश के बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
केन्द्र ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि सरकार ने आयोग के सदस्यों की भी नियुक्ति कर दी है। वायु प्रदूषण के संबंध में हाल ही में जारी अध्यादेश का जिक्र करते हुए मेहता ने कहा कि वह इसे रिकार्ड पर ले आयेंगे। पीठ ने कहा कि इस मामले में अब दीवाली अवकाश के बाद सुनवाई होगी। पीठ ने कहा,‘आपको सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि शहर में स्मॉग नहीं हो। हमें आयोग से कोई लेना-देना नहीं है। यहां बहुत से आयोग हैं और अनेक लोग इस पर काम कर रहे हैं।’पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने के मामले में याचिका दायर करने वाले आदित्य दुबे की ओर से वकील ने कहा कि आयोग का अध्यक्ष एक नौकरशाह है। इसकी बजाय हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज को नियुक्त किया जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘आयोग में स्वास्थ्य मंत्रालय का कोई सदस्य नहीं है।’ पीठ ने कहा कि आयोग देश में किसी से भी बात कर सकता है।
उठाए जा रहे हैं प्रदूषण नियंत्रण के कदम : जावड़ेकर
पुणे (एजेंसी): केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र ठंड के मौसम से पहले दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य स्थानों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सभी कदम उठा रहा है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कृषि अपशिष्ट को नष्ट करने के लिए पराली जलाना एक सस्ता तरीका है लेकिन यह वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। मंत्री ने कहा ‘ पूसा डिकंपोजर’ तैयार किया गया है जो पराली को समाप्त करने का एक सस्ता तरीका है। 5 राज्यों में इसका इस्तेमाल किया है और परिणाम की प्रतीक्षा है। इसे छिड़कने से पराली समाप्त हो जाती है।’ प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
गैस चैंबर में बदले उत्तरी राज्य
नयी दिल्ली (ट्रिन्यू) : उत्तर भारत के अधिकतर शहर गैस चैंबर में बदल चुके हैं। राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के वातावरण में प्रदूषण की मोटी चादर छाई है। उधर दक्षिणी राज्यों के अधिकतर शहरों की आबोहवा अब भी बहुत अच्छी है। मैसूर, तिरुपति, इलूर, कोयंबयूर, कोडीकोड व चेन्नई समेत कई शहरों की हवा की गुणवत्ता बहुत अच्छी है। उत्तर के शहर फतेहाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स जहां 466 पहुंच गया, तो कर्नाटक के मैसूर में यह 29 है। दक्षिण के कई शहरों की आबोहवा यूरोप के कई शहरों से बेहतर है। कोरोना की तीसरी लहर से जूझ रही दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्थिति तक पहुंच जाने से लोगों का दम घुट रहा है और आंखों में जलन महसूस हो रही है। यह स्थिति सिर्फ दिल्ली अथवा एनसीआर तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे उत्तर भारत की है।