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प्रख्यात अंग्रेजी लेखक रस्किन बॉन्ड को साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप

नयी दिल्ली, 11 मई (ट्रिन्यू) प्रख्यात अंग्रेजी लेखक और विद्वान रस्किन बॉन्ड को आज साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान - साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप प्रदान किया गया। खराब स्वास्थ्य के चलते बॉन्ड को यह सम्मान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक...
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केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौिशक और सचिव के.श्रीिनवासराव मसूरी मे लेखक रस्किन बॉन्ड को साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप प्रदान करते हुए।
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नयी दिल्ली, 11 मई (ट्रिन्यू)

प्रख्यात अंग्रेजी लेखक और विद्वान रस्किन बॉन्ड को आज साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान - साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप प्रदान किया गया। खराब स्वास्थ्य के चलते बॉन्ड को यह सम्मान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और साहित्य अकादमी के सचिव के.श्रीनिवासराव ने उनके मसूरी स्थित घर पर दिया। इस मौके पर बॉन्ड के बेटे भी मौजूद थे। 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में जन्में रस्किन बॉन्ड 50 वर्षों से अधिक समय से लेखन की दुनिया में सक्रिय हैं और उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं में लिखा है। उनके शुरुआती कथा साहित्य में कहानी संग्रह और उपन्यास के साथ-साथ कुछ आत्मकथात्मक रचनाएं भी शामिल हैं। बाद में उन्होंने नॉन-फिक्शन, रोमांस और बच्चों की किताबें भी लिखीं। उनकी पसंदीदा विधाएं निबंध और कहानियां हैं। उनके उल्लेखनीय कार्यों में वैग्रांट्स इन द वैली, वन्स अपॉन ए मॉनसून टाइम, एंग्री रिवर, स्ट्रेंजर्स इन द नाइट, ऑल रोड्स लीड टू गंगा, टेल्स ऑफ फोस्टरगंज, लेपर्ड ऑन द माउंटेन और टू मच ट्रबल शामिल हैं। 1978 की हिंदी फिल्म जुनून रस्किन के ऐतिहासिक उपन्यास ए फ्लाइट ऑफ पिजन्स (1857 का भारतीय विद्रोह) पर आधारित है। उनकी कहानियों का रूपांतरण दूरदर्शन पर टीवी धारावाहिक ‘एक था रस्टी’ के रूप में प्रसारित किया गया और उनकी कई कहानियां - द नाइट ट्रेन एट देवली, टाइम स्टॉप्स एट शामली और अवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा - को भारत में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। 2005 में, उनके लोकप्रिय बच्चों के उपन्यास द ब्लू अम्ब्रेला पर फिल्म बनाई गई थी। उन्होंने विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित 2011 की फिल्म 7 खून माफ में एक छोटी भूमिका निभाई, जो उनकी कहानी ‘सुज़ाना के सात पतियों’ पर आधारित है। उनके कहानी संग्रह अवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा के लिए उन्हें 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें भारत सरकार द्वारा 1999 में पद्म श्री और 2019 में पद्म भूषण और 2012 में साहित्य अकादमी बाल सहिया से भी सम्मानित किया गया है।

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