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Emergency: कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे बोले- पीएम के कारण संविधान संकट में, आज अघोषित आपातकाल

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) Emergency: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को आपातकाल की 50 वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले को लेकर उन पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), सरकार की...

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नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा)

Emergency: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को आपातकाल की 50 वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले को लेकर उन पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का नाटक कर रही है।

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उन्होंने दावा किया कि वह आपातकाल तो खत्म हो गया, लेकिन मोदी सरकार में "अघोषित आपातकाल" है। खड़गे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कारण ही आज संविधान संकट में है। खड़गे ने संवादाताओं से कहा, "अब ये संविधान बचाओ की बात कर रहे हैं। आपातकाल के 50 साल पूरा होने के बाद उसे दोहरा रहे हैं।"

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उन्होंने भाजपा के वैचारिक पूर्वजों का हवाला देते हुए कहा कि जिनका आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा, जिनका संविधान के निर्माण कोई योगदान नहीं रहा, जो हमेशा संविधान के खिलाफ बात करते रहे, जिन लोगों ने बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को रामलीला मैदान में जलाया, उन्हें अब सदबुद्धि आई। खड़गे ने दावा किया, "हम एक साल से संविधान बचाओ यात्रा निकाल रहे हैं, उससे भाजपा घबरा गई है।"

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार शासन में नाकाम रही। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नोटबंदी और काले धन के मामले में भी विफल रही। उन्होंने दावा किया कि विफलताओं को छिपाने के लिए यह नाटक रचा गया है।

खड़गे ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा," आपातकाल तो आप लाए हैं। वो आपातकाल खत्म हो गया, लेकिन आज तो अघोषित आपातकाल है।"

उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा समय में निर्वाचन आयोग कठपुतली बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि आपातकाल के दौरान संविधान की भावना का कैसे उल्लंघन किया गया। उन्होंने संवैधानिक सिद्धांतों को मजबूत करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने कहा कि आपातकाल में संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को दबा दिया गया और बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाला गया।

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