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ED ने 'फर्जी' बैंक गारंटी से जुड़े PMLA मामले में रिलायंस पावर के CFO को किया गिरफ्तार

Reliance Power CFO arrested: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) को 68 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी जारी करने से जुड़े मनीलांड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया...

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Reliance Power CFO arrested: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) को 68 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी जारी करने से जुड़े मनीलांड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने अशोक पाल से पूछताछ करने के बाद उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत शुक्रवार रात हिरासत में ले लिया। सूत्रों के अनुसार, उन्हें शनिवार को एक विशेष अदालत में पेश किया जाएगा और उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में भेजे जाने का अनुरोध किया जाएगा।

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यह मामला रिलायंस पावर की सहायक कंपनी रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड की ओर से सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) को जमा की गई 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी से संबंधित है, जो ‘‘फर्जी'' पाई गई।

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यह कंपनी पहले महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी। ED ने व्यावसायिक समूहों के लिए कथित रूप से ‘‘फर्जी'' बैंक गारंटी प्रदान करने का गिरोह चलाने वाली आरोपी कंपनी की पहचान ओडिशा स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक के रूप में की है।

निदेशालय ने जांच ​​के तहत अगस्त में कंपनी और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ छापेमारी की थी और इसके प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया था। धन शोधन का यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EWO) द्वारा नवंबर 2024 में दर्ज की गई एक प्राथमिकी से जुड़ा है।

आरोप है कि कंपनी आठ प्रतिशत कमीशन पर ‘‘फर्जी'' बैंक गारंटी जारी करने में शामिल थी। रिलायंस समूह ने तब कहा था कि रिलायंस पावर इस मामले में ‘‘धोखाधड़ी और जालसाजी की साजिश का शिकार'' हुई है और उसने सात नवंबर, 2024 को स्टॉक एक्सचेंज में इस संदर्भ में उचित खुलासे किए थे।

समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने अक्टूबर 2024 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EWO) में तीसरे पक्ष (आरोपी कंपनी) के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी और कानून की ‘‘उचित प्रक्रिया'' का पालन किया जाएगा।

ED के सूत्रों ने कहा था कि भुवनेश्वर स्थित कंपनी एसबीआई के ईमेल डोमेन से मिलते जुलते डोमेन का उपयोग कर रही थी जिससे लगे कि उसके द्वारा भेजे गए मेल देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा भेजे जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इस फर्जी डोमेन का इस्तेमाल SECI को ‘‘फर्जी'' संदेश भेजने के लिए किया गया था। सूत्रों के अनुसार, ED की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कंपनी ने कमीशन के लिए ‘‘फर्जी'' बिल भी जारी किए और कई ‘‘अघोषित'' बैंक खातों का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि इन बैंक खातों के जरिए करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन किए गए।

सूत्रों ने बताया था कि कंपनी ‘‘मात्र एक कागजी संस्था'' है क्योंकि इसका पंजीकृत कार्यालय बिस्वाल के एक रिश्तेदार की आवासीय संपत्ति है और छापेमारी के दौरान पते पर कंपनी का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

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