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East Asia Summit : भारत ने ऊर्जा व्यापार का दायरा घटने के मुद्दे पर जताई चिंता, जयशंकर बोले- बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है प्रौद्योगिकी प्रगति

सम्मेलन में ऊर्जा व्यापार, बाजार पहुंच और आपूर्ति श्रृंखलाओं से संबंधित उनकी टिप्पणियों ने ध्यान आकर्षित किया

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East Asia Summit : भारत ने ऊर्जा व्यापार का दायरा लगातार सीमित होने, मानदंडों के चयनात्मक अनुप्रयोग और बाजार पहुंच के मुद्दों पर सोमवार को गंभीर चिंता जताई। विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह टिप्पणी रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तल्खी आने की पृष्ठभूमि में आई है।

कुआलालंपुर में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि विश्व को आतंकवाद के प्रति ‘‘कतई बर्दाश्त नहीं करने'' की नीति अपनानी चाहिए। इस खतरे के खिलाफ रक्षा के अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता। सम्मेलन में ऊर्जा व्यापार, बाजार पहुंच और आपूर्ति श्रृंखलाओं से संबंधित उनकी टिप्पणियों ने ध्यान आकर्षित किया। जयशंकर ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। प्रौद्योगिकी प्रगति बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है।

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प्राकृतिक संसाधनों की खोज तो और भी अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है। ऊर्जा व्यापार का दायरा सीमित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार से जुड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं। सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए। जयशंकर की यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तेजी से आई गिरावट के बीच आई है, जिसमें रूसी तेल की नई दिल्ली की खरीद पर 25 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है। भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों में एक पेचीदा मुद्दा बन गई है।

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कई अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि यह यूक्रेन के ख़िलाफ मास्को की युद्ध मशीन को बढ़ावा दे रहा है। अपने संबोधन में, जयशंकर ने कहा कि बदलाव का अपना एक अलग ही महत्व होता है और दुनिया अनिवार्य रूप से नयी परिस्थितियों के अनुरूप प्रतिक्रिया देगी। समायोजन किए जाएंगे, गणनाएं लागू होंगी, नयी समझ विकसित होगी, नये अवसर सामने आएंगे और लचीले समाधान निकाले जाएंगे।‘‘आखिरकार, प्रौद्योगिकी, प्रतिस्पर्धा, बाज़ार के आकार, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, प्रतिभा और गतिशीलता की वास्तविकताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बहुध्रुवीयता न केवल स्थायी है, बल्कि बढ़ती भी रहेगी।

ये सभी बातें गंभीर वैश्विक चर्चाओं की मांग करती हैं। विदेश मंत्री ने खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा प्रवाह और व्यापार पर चल रहे संघर्षों के प्रभाव के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि हम ऐसे संघर्ष भी देख रहे हैं जिनके निकट और दूर, गंभीर परिणाम हैं। गहरी मानवीय पीड़ा के अलावा, ये संघर्ष खाद्य सुरक्षा को कमज़ोर करते हैं, ऊर्जा प्रवाह के लिए ख़तरा पैदा करते हैं और व्यापार को बाधित करते हैं।'

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