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Earthquake in Myanmar : म्यांमार के शहरों में सड़े हुए शवों से फैल रही दुर्गंध; भूकंप में 1,600 से अधिक लोगों की मौत 

5.1 तीव्रता के झटकों के बाद सड़कों पर मौजूद लोगों में चीख-पुकार मच गई।
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मांडले, 30 मार्च (एपी)

म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले की सड़कों पर पड़े शवों से अब भयानक दुर्गंध फैलनी शुरू हो गई है। उधर लोग अब भी अपने परिजनों की खोज में हाथों से मलबा हटाने में जुटे हुए हैं। दो दिन पहले आए विनाशकारी भूकंप में 1,600 से अधिक लोगों की मौत हो गई और अनगिनत लोग जगह-जगह मलबे में दब गए।

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शुक्रवार दोपहर को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप का केंद्र मांडले के पास था। इस भयानक भूकंप से कई इमारतें ढह गईं और शहर के हवाई अड्डे जैसे अन्य बुनियादी ढांचों को भारी नुकसान पहुंचा। टूटी हुई सड़कें, गिरे हुए पुल, संचार-व्यवस्था में गड़बड़ी और गृहयुद्ध के बीच देश में काम करने की चुनौतियों के कारण राहत कार्य बाधित हुए हैं। स्थानीय लोग बिना भारी उपकरणों की मदद के जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हैं। 41 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में हाथों और फावड़ों से मलबा हटाने को मजबूर हैं।

रविवार दोपहर को आए 5.1 तीव्रता के झटकों के बाद सड़कों पर मौजूद लोगों में चीख-पुकार मच गई। हालांकि थोड़ी देर बाद फिर से काम शुरू हो गया। मांडले में रहने वाले 15 लाख लोगों में से कई लोगों ने रात सड़कों पर बिताई। बहुत से लोग भूकंप के कारण बेघर हो गए हैं। भूकंप ने पड़ोसी देश थाईलैंड को भी हिलाकर रख दिया और वहां कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई। मांडले के स्थानीय लोगों को इस बात की चिंता है कि लगातार आने वाले झटकों के कारण अस्थिर इमारतें ढह सकती हैं।

म्यांमार में ‘कैथोलिक रिलीफ सर्विसेज' की यांगून इकाई के प्रबंधक कैरा ब्रैग ने बताया कि अब तक म्यांमा में 1,644 लोगों की मौत हो चुकी है। 3,408 लोग घायल हुए हैं। कई क्षेत्रों में अब तक बचाव कार्य नहीं हो पाया है और अब तक कई इलाकों में लोग हाथों से मलबा हटाने में लगे हैं। म्यांमार में विदेशी सहायता पहुंचना शुरू हो गई है।

दो भारतीय सी-17 सैन्य परिवहन विमान शनिवार देर रात नेपीताव में उतरे, जिसमें सेना का एक चिकित्सा दल और कुछ 120 कर्मी सवार थे। म्यांमार के विदेश मंत्रालय के अनुसार, ये भारतीय दल 60 बिस्तरों वाला आपातकालीन उपचार केंद्र बनाने के लिए उत्तर मांडले पहुंचेंगे। भारत की ओर से अन्य सहायता म्यांमार के सबसे बड़े शहर यांगून भी पहुंच गयी है। यांगून अन्य देशों द्वारा भेजी जा रही सहायता का केंद्र है।

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