नयी दिल्ली, 4 फरवरी (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह ‘हैरानी’ की बात है कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान वकील सड़क पर जाते हुए, पार्क में बैठकर या सीढ़ियों पर चलते हुए दलीलें रखते हैं और आवाज सही से नहीं आने पर कार्यवाही का संचालन करना बहुत कठिन हो जाता है। हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जतायी और कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के नियमों के मुताबिक वकील और सभी पक्षों से किसी शांत स्थल से सुनवाई में शामिल होने की अपेक्षा की जाती है जहां से तसवीरें भले सही न आएं लेकिन आवाज स्पष्ट आए। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कमजोर इंटरनेट कनेक्शन और सही जगह से वकीलों के दलीलें नहीं रखने के कारण डिजिटल तरीके से सुनवाई के दौरान अक्सर होने वाली बाधा पर नाराजगी जतायी। न्यायाधीश ने कहा, ‘इस तरह कार्यवाही चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। पिछले 45 मिनट से मैं केवल एक मामला सुन पायी हूं क्योंकि वकील की आवाज ही नहीं आ रही। आधा समय तो वकीलों को जवाब देने में चला जाता है जो बार-बार पूछते हैं कि क्या मेरी आवाज आ रही है।” जस्टिस सिंह ने कहा कि वह एक नोट जारी करेंगी कि वकील अगर ऐसी जगह पर हैं जहां से आवाज सही से नहीं आती है तो उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
न्यायाधीश ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में हिस्सा लेते समय वकीलों को अपने इंटरनेट कनेक्शन की जांच कर लेनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि अगर तस्वीर स्पष्ट न भी आ रही हो तो कम से कम स्पष्ट आवाज आनी चाहिए। वहां पर मौजूद अधिवक्ता ने भी सुनवाई में हिस्सा लेने वाले कुछ वकीलों के इस तरह के व्यवहार को असम्मानजनक बताया और कहा कि वह अदालत के संदेश को कानूनी बिरादरी तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।