ट्रेंडिंगमुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

हरियाणा में महंगा होगा सपनों का आशियाना, एक अगस्त से नए कलेक्टर रेट रिवाइज करने की तैयारी

पिछले साल कलेक्टर रेट में हुई थी 12 से 32 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी
Advertisement

आने वाले दिनों में हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीदना और महंगा हो जाएगा। प्रदेश सरकार जमीनों के कलेक्टर रेट रिवाइज करने की तैयारी में है। हालांकि कलेक्टर रेट पहले ही लागू होने थे, लेकिन सरकार ने इन पर रोक लगा दी थी। अब पहली अगस्त से नए कलेक्टर रेट राज्य में लागू करने की तैयारी है। नए कलेक्टर रेट लागू होने के बाद जमीनों का पंजीकरण भी महंगा हो जाएगा।

नायब सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहला मौका होगा जब प्रदेश में कलेक्टर रेट की नई दरें लागू की जाएंगी। हरियाणा में कलेक्टर रेट को लेकर पिछले कई माह से विवाद चल रहा है। राज्य में पिछले साल पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते पहली दिसंबर को ही नए कलेक्टर रेट लागू किए जा सके थे। बाद में सरकार ने इसे 30 मार्च तक मान्य कर दिया था।

Advertisement

हरियाणा में 2025-26 के लिए कलेक्टर दरों में बढ़ोतरी नहीं हो सकी थी। करीब 3 महीने पहले सीएम नायब सैनी की अध्यक्षता में संशोधन को लेकर बैठक हुई थी। हालांकि सीएम ने संशोधन को स्थगित कर दिया था। अब 2025-26 के लिए पहली अगस्त से नए कलेक्टर रेट के हिसाब से ही जमीनों की रजिस्ट्रियां होंगी। राजस्व विभाग की तरफ से आज सभी मंडल आयुक्तों तथा जिला उपायुक्तों को इस संबंध में पत्र जारी किया है। नए कलेक्टर रेट के लिए विभिन्न स्थानों पर 5 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।

पिछले साल की गई 12 से 32 प्रतिशत बढ़ोतरी

पिछले साल जमीन के कलेक्टर रेट 12 से 32 प्रतिशत तक बढ़ाए गए थे। देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक होने के कारण एनसीआर में जमीन बहुत अधिक महंगी है, इसलिए वहां कलेक्टर रेट बाकी जिलों से काफी अधिक रखे गए थे। इनमें रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल और पानीपत में 20 प्रतिशत और गुरुग्राम, सोहना, फरीदाबाद, पटौदी और बल्लभगढ़ के कलेक्टर रेट में 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई थी। इस बार भी यहां रेट ज्यादा होने के आसार हैं।

यह है कलेक्टर रेट की प्रक्रिया

कलेक्टर रेट किसी भी जिले में जमीन की वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर कोई रियल एस्टेट प्रापर्टी खरीदार को बेची जा सकती है। इसी पर तहसीलों में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होती है। कलेक्टर रेट समय-समय पर बदलता रहता है, जो स्थान और बाजार के रुझान पर निर्भर करता है। कलेक्टर रेट का फैसला जिलों में स्थानीय स्तर पर ही होता है। हर इलाके के लिए अलग से कलेक्टर रेट तय होते हैं।

Advertisement
Tags :
Collector Rate RevisedDainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune Latest NewsDainik Tribune newsharyana newslatest newsNayab GovernmentNayab Singh SainiPropertyदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी न्यूजहिंदी समाचार