नयी दिल्ली, 2 अक्तूबर (एजेंसी) दूरसंचार विभाग ने लाइसेंस शुल्क के विलंब से भुगतान पर ब्याज दरों को सुसंगत करने के लिए लाइसेंस शुल्क नियमों में संशोधन किया है। इस कदम से दूरसंचार क्षेत्र से वित्तीय बोझ कम हो सकेगा और कारोबार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा। विभाग अब लाइसेंस शुल्क या किसी अन्य सांविधिक बकाये के भुगतान में देरी के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक साल की कोष की सीमांत लागत (एमसीएलआर) के ऊपर दो प्रतिशत का ब्याज लेगा। ब्याज का संयोजन सालाना आधार पर किया जाएगा। अभी तक दूरसंचार कंपनियों को एसबीआई के एक साल के एमसीएलआर के ऊपर चार प्रतिशत का ब्याज देना होता था। ब्याज का संयोजन मासिक आधार पर किया जाता था। संशोधन में कहा गया है कि लाइसेंस शुल्क या किसी अन्य बकाया के भुगतान में देरी पर एसबीआई के एक साल के एमसीएलआर (वित्त वर्ष की शुरुआत से) के ऊपर दो प्रतिशत ब्याज लिया जाएगा। विभाग ने लाइसेंस शुल्क की उस धारा को भी हटा दिया है जिसके तहत दूरसंचार कंपनियों से लाइसेंस शुल्क के कम भुगतान पर भुगतान राशि में कमी के 50 प्रतिशत के बराबर ब्याज वसूला जाता था। लाइसेंस शुल्क की भुगतान राशि कुल बकाया के 10 प्रतिशत से अधिक रहने पर यह जुर्माना लगाया जाता था। ये संशोधन एक अक्तूबर से प्रभाव में आए हैं। यह कदम सरकार द्वारा सितंबर, 2021 में घोषित दूरसंचार सुधारों के तहत उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर सरकार के रुख को उचित ठहराए जाने के बाद पुराने नियमों की वजह से मौजूदा दूरसंचार कंपनियां दबाव में थीं। उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार ऑपरेटरों से 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया चुकाने को कहा था। दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा कि इस कदम से क्षेत्र पर वित्तीय दबाव कम होगा और कारोबार सुगमता को प्रोत्साहन मिलेगा।