न आना इस देस लाडाे... कैथल में ससुराल से बचाई बालिका वधू
गीतांजलि गायत्री/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 13 मई
महज 12 साल की उम्र में बालिका वधू बनाने के लिए पिछले हफ्ते उसका स्कूल छुड़वा दिया गया। वह छठी कक्षा की छात्रा थी। उसके पिता ने कल देर रात उसकी शादी करवा दी। बिहार से आए उसके पिता कैथल के ढांड गांव में पिछले 15 साल से रह रहे हैं और मजदूरी करके गुजारा करते हैं। शादी कुरुक्षेत्र के 17 वर्षीय लड़के (उसके पिता का दावा है कि वह नाबालिग है और अभी तक उसकी उम्र का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है) से की गयी, क्योंकि वह ‘ऐसा रिश्ता था जिसे परिवार मना नहीं कर सकता था।’
पंद्रह घंटे बाद, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत लड़के और लड़की के पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विवाह अमान्य हो गया है। कुरुक्षेत्र स्थित ससुराल से वापस लाई गयी लड़की को वन-स्टॉप सेंटर भेज दिया गया है, जहां वह अगले कुछ दिनों तक रहेगी। बाल कल्याण समिति ने उसकी काउंसलिंग शुरू कर दी है। ‘अवैध’ विवाह कराने वाले पुजारी की तलाश की जा रही है।
बच्ची ने ट्रिब्यून से बात करते हुए बताया कि उसके माता-पिता ने कहा था कि उसे ससुराल में भी पढ़ाई जारी रखने दी जाएगी, इसलिए वह स्कूल छोड़ने और शादी करने के लिए मान गयी। उसने बताया कि कल शाम शादी हुई और बारात के साथ वह ससुराल चली गयी। आज दोपहर उसके चाचा उसे वापस घर ले जाने पहुंचे। वहीं, लड़की के पिता ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि वह अकेले कमाने वाले हैं और परिवार का पेट नहीं भर पा रहे। शादी की बात छिपाने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरी चार बेटियां और एक बेटा है, जिसकी शादी हो चुकी है। मैं केवल पांच हजार रुपये कमाता हूं। एक साल पहले बिहार में सबसे बड़ी बेटी की शादी की थी। कल दूसरी बेटी की सगाई हुई। यह कोई विवाह समारोह नहीं था। लड़का इंजन मेकैनिक है।’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एक पुजारी ने ‘पूजा’ की, जिसके बाद लड़के का परिवार दुल्हन के साथ कुरुक्षेत्र चला गया। वह यह नहीं बता पाये कि सगाई के बाद बेटी को ‘दूल्हे’ के साथ क्यों भेजा गया।
पुलिस को चकमा, दूल्हा-दुल्हन को छिपाया ट्रिब्यून को कल देर रात (करीब 10.45 बजे) ढांड में बाल विवाह की सूचना मिली थी, जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल और कैथल पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी को सूचना दी गयी, जिन्होंने तुरंत कार्रवाई की। पुलिस कुछ ही समय में गांव पहुंच गयी और परिवार ने अनिच्छा से ‘दूल्हा और दुल्हन’ को उनके हवाले कर दिया। दोनों अधिकारियों ने आधी रात तक घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखी, जब तक कि ‘दूल्हे’ को बाल देखभाल संस्थान और ‘दुल्हन’ को वन-स्टॉप सेंटर नहीं भेज दिया गया। हालांकि, सुबह गांव से एक और सूचना के बाद यह स्पष्ट हुआ कि लड़की के परिवार ने दूल्हा और दुल्हन के बारे में झूठ बोला, जो वास्तव में कुरुक्षेत्र के लिए रवाना हो गए थे। रात में परिवार ने सबसे बड़ी बेटी (वह भी नाबालिग) और उसके पति को पुलिस टीम को सौंप दिया था। यह पता चलते ही डीएसपी गुरविंदर सिंह और प्रोटेक्शन ऑफिसर सुनीता के नेतृत्व में पुलिस टीम ने ‘दुल्हन’ के एक रिश्तेदार को उसे वापस लाने कुरुक्षेत्र भेजा।