Dog Bite Compensation : हरियाणा में डॉग बाइट और बेसहारा पशु हमलों पर मिलेगा मुआवजा, 10 हजार से 5 लाख तक होगी मदद
Dog Bite Compensation : हरियाणा सरकार ने गरीब परिवारों को कुत्तों और बेसहारा पशुओं के हमलों से राहत देने के लिए नई पहल की है। अब अगर किसी गरीब परिवार का सदस्य डॉग बाइट से घायल होता है या गाय-भैंस, सांड, नीलगाय, गधे जैसे बेसहारा पशुओं के हमले में मौत या दिव्यांगता का शिकार हो जाता है, तो सरकार 10 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद देगी।
यह प्रावधान ‘दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना (दयालु)-2’ में जोड़ा गया है। मुख्य सचिव तथा वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इस संदर्भ में नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन में सरकार ने स्पष्ट किया है कि कुत्ते द्वारा एक बार काटे जाने पर न्यूनतम 10 हजार रुपये और अगर काटने से त्वचा कट जाती है तो 20 हजार रुपये अनिवार्य रूप से दिए जाएंगे। यह पहली बार है जब डॉग बाइट पीड़ितों के लिए सीधी आर्थिक मदद तय की गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा में रोजाना औसतन 100 लोग डॉग बाइट का शिकार होते हैं। पिछले एक दशक में 12 लाख से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोग स्थायी रूप से दिव्यांग हुए हैं और कई की मौत भी हुई। सिर्फ कुत्ते ही नहीं, बल्कि सड़कों और गलियों में घूमते बेसहारा पशु भी जानलेवा साबित हो रहे हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में हर महीने औसतन 10 लोग ऐसे हादसों में जान गंवा देते हैं। हालांकि कितने लोग दिव्यांग हुए, इसका रिकॉर्ड न तो यातायात पुलिस के पास है और न ही गोसेवा आयोग के पास।
जानिए किसे मिलेगा लाभ
योजना का लाभ उन्हीं परिवारों को मिलेगा जिनकी वार्षिक आय 1 लाख 80 हजार रुपये तक है। 6 साल से 60 साल तक की आयु के गरीब परिवार के सदस्य की मौत या दिव्यांगता पर पांच लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी। वहीं, बच्चों के लिए अलग-अलग आयु वर्ग के हिसाब से 1 लाख से 5 लाख रुपये तक का प्रावधान है। आर्थिक मदद पाने के लिए मौत या दिव्यांगता के तीन महीने के भीतर ऑनलाइन आवेदन करना जरूरी होगा।
अब तक 1380 करोड़ की मदद
हरियाणा में ‘दयालु’ योजना पहली अप्रैल, 2023 को उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुरू की थी। तब से अब तक 36,651 परिवारों को कुल 1380 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिल चुकी है। योजना में अब डॉग बाइट और बेसहारा पशु हमलों को भी शामिल कर दिया गया है। नायब सरकार ने इस योजना को आगे भी बढ़ाया है और इसका विस्तार भी किया है।
डीसी की अध्यक्षता में कमेटी
जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी, जो पीड़ित परिवारों के आवेदनों पर विचार करेगी और मुआवजे की सिफारिश करेगी। इसमें पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, जिला परिवहन अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी का प्रतिनिधि और अन्य अधिकारी सदस्य होंगे, जबकि योजना व जिला सांख्यिकी अधिकारी सदस्य सचिव होंगे।