ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 11 फरवरी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा है कि सत्यापन होने तक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का डेटा न मिटाया जाये। शीर्ष अदालत ने आयोग से उस याचिका पर जवाब देने को कहा, जिसमें ईवीएम की मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट्स (एसएलयू) के सत्यापन की अनुमति देने के निर्देश देने की मांग की गयी है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के एक अंतरिम आवेदन पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने सुनवाई की। पीठ ने चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि सत्यापन होने तक ईवीएम का डेटा मिटाया या रिलोड न किया जाये।
एडीआर ने आरोप लगाया कि ईवीएम के सत्यापन के लिए चुनाव आयोग द्वारा बनाई गयी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी), ईवीएम-वीवीपैट मामले में शीर्ष अदालत के 26 अप्रैल, 2024 के फैसले के अनुरूप नहीं है। इस पर पीठ ने चुनाव आयोग से ईवीएम सत्यापन की मानक संचालन प्रक्रिया पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी।
एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि ईवीएम सत्यापन पर एसओपी अपर्याप्त है। उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि ईवीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जांच की जा सके।’
हालांकि, शीर्ष अदालत ने हरियाणा के पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे लखन कुमार सिंगला की इसी तरह की याचिका पर विचार करने से इस आधार पर इनकार कर दिया कि उन्होंने अपनी पहली याचिका वापस ले ली थी।