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Diwali Celebrations 2025: सीमा पर जल उठे दीप: BSF के जवानों ने देशभक्ति के संग मनाई दिवाली

Diwali Celebrations 2025: घर से दूर, लेकिन मातृभूमि के करीब - सरहद पर वीरों ने दीपों से सजाई ड्यूटी लाइन

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Diwali Celebrations 2025: देशभर में जब दीपावली के दीप हर घर में जगमगा रहे थे, तब भारत-पाकिस्तान सीमा पर भी रोशनी और उत्सव का वही जज़्बा नजर आया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर, कर्तव्य की चौकी पर ही दीपावली मनाई। यह जश्न भले परिवारों से दूर था, लेकिन उसमें देशभक्ति की गर्माहट और भाईचारे की चमक झलक रही थी।

पंजाब के गुरदासपुर सेक्टर में बीएसएफ जवानों ने दीपों की रोशनी से सीमा चौकियों को सजा दिया। इस अवसर पर सीमा सुरक्षा बल के महानिरीक्षक (आईजी) अतुल फुलजले मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उनके साथ डीआईजी और बटालियन कमांडेंट जसविंदर कुमार विरदी ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। बीएसएफ के अधिकारियों और जवानों ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन किया और राष्ट्रभक्ति गीतों से माहौल को देशप्रेम की भावना में रंग दिया।

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कार्यक्रम में दीप जलाने के बाद जवानों के बीच मिठाइयां बांटी गईं। सीमांत चौकियों पर आतिशबाज़ी के रंगीन नज़ारे आसमान में छा गए। इसके बाद जवानों ने एक छोटा लेकिन भावनाओं से भरा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसमें देशभक्ति गीतों और लोकनृत्यों के जरिए त्योहार की उमंग को साझा किया गया। रात्रि भोज के दौरान जवानों ने साथ बैठकर भोजन किया - जैसे एक परिवार जो देश की सरहदों की निगहबानी करता है।

देश की रक्षा ही सबसे बड़ा पर्व : आईजी फुलजले

मुख्य अतिथि अतुल फुलजले ने जवानों को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘आपका परिवार भले दूर हो, लेकिन देश की हर सांस, हर नागरिक आपके साथ है। दीपावली का असली अर्थ है - अंधकार पर प्रकाश की विजय, और आप सब रोज़ यह विजय सीमा पर अर्जित करते हैं।’ उन्होंने जवानों की कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि त्योहारों के बीच भी इनका उत्साह देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा है।

सीमा पर उमड़ा जज़्बा और गर्व

इस अवसर ने बीएसएफ पंजाब के अधिकारियों और जवानों में उच्च मनोबल और उत्सवी भावना का संचार किया। त्योहार की यह रौनक केवल दीपों की नहीं थी, बल्कि उन दिलों की थी जो देश की रक्षा में चौबीसों घंटे तत्पर रहते हैं। भारत-पाक सीमा पर यह दीपावली इस बात की प्रतीक बनी कि जहाँ कर्तव्य है, वहीं असली उत्सव है। सरहद पर सजे दीपों ने एक बार फिर साबित किया - जब देश के प्रहरी जागते हैं, तभी पूरा देश चैन की नींद सो पाता है।

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