धनखड़ ने आलोचकों पर साधा निशाना, बोले- संसद ही सर्वोच्च
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (एजेंसी)
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा बोला गया प्रत्येक शब्द सर्वोच्च राष्ट्रहित से प्रेरित होता है। उन्होंने हाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर सवाल उठाने वाले आलोचकों पर निशाना साधा। धनखड़ ने यह भी कहा कि देश के खिलाफ काम करने वाली ताकतों द्वारा संस्थाओं की आलोचना करने तथा उन्हें बर्बाद करने के प्रयासों को खत्म किया जाना चाहिए। संसद को सर्वोच्च बताते हुए धनखड़ ने कहा, ‘संविधान में संसद से ऊपर किसी प्राधिकार की कल्पना नहीं की गई है। संसद सर्वोच्च है... मैं आपको बता दूं कि यह उतना ही सर्वोच्च है जितना कि देश का प्रत्येक व्यक्ति।’
शीर्ष अदालत की एक पीठ ने हाल में राज्यपालों द्वारा रोक कर रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के वास्ते उन पर फैसला लेने के लिए तीन महीने की समयसीमा तय की थी। कोर्ट के इस निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए धनखड़ ने कहा था कि न्यायपालिका ‘सुपर संसद’ की भूमिका नहीं निभा सकती और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आ सकती।
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र की आत्मा प्रत्येक नागरिक में बसती है और धड़कती है। लोकतंत्र फूलेगा-फलेगा। इसके मूल्य और ऊंचे उठेंगे। जब नागरिक सतर्क होगा तो नागरिक योगदान देगा और नागरिक जो योगदान देता है, उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता।’
विपक्ष ने कहा- संविधान सर्वोच्च
विपक्षी नेताओं ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान के बाद कहा कि देश में संसद एवं कार्यपालिका नहीं, बल्कि संविधान सर्वोच्च है। राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘संसद के पास कानून पारित करने का पूर्ण अधिकार है, सुप्रीम कोर्ट का दायित्व है कि वह संविधान की व्याख्या करे और पूर्ण न्याय करे (अनुच्छेद 142)।’ एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘यह उनकी सीमित समझ है। संसद निश्चित रूप से सर्वोच्च और स्वतंत्र है। न्यायपालिका और कार्यपालिका भी स्वतंत्र हैं। यही कारण है कि शक्ति संतुलन हमारे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है।’ राजद के नेता मनोज झा ने कहा, ‘मैं उनसे संविधान सभा की बहसों पर फिर से विचार करने का आग्रह करूंगा, जहां न्यायपालिका और विधायिका के बीच संतुलन के महत्व पर चर्चा की गई थी... संविधान हमारा अंतिम मार्गदर्शक है।’ कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल किया, ‘क्या न्यायपालिका को बंद कर देना चाहिए? क्या न्यायिक समीक्षा गलत है? तो उपराष्ट्रपति किस बारे में बात कर रहे हैं?’