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पर्वतों पर प्रलय... हिमाचल में बादल फटने व भूस्खलन की घटनाओं से 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान

सड़क हादसों में अब तक 366 लोगों की मौत हो चुकी है
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हिमाचल प्रदेश में 20 जून से सात सितंबर तक भारी बारिश के कारण बादल फटने, अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की घटनाओं से लगभग 4,080 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून में बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क हादसों में अब तक 366 लोगों की मौत हो चुकी है।

राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र के अनुसार, इन 366 लोगों में से 203 की मौत बारिश से जुड़ी घटनाओं में हुई, जिनमें 42 मौतें भूस्खलन के कारण, 17 बादल फटने और नौ अचानक आई बाढ़ से की वजह से हुई हैं। एसईओसी के मुताबिक, 41 लोग अब भी लापता हैं। 163 मौतें दुर्घटनाओं में हुईं। उसने बताया कि कुल 6,247 घर और 460 दुकानें/कारखाने पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

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भूस्खलन की घटनाएं हर दिन बढ़ रही हैं और 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से राज्य के कई हिस्सों में 135 बड़े भूस्खलन, 95 अचानक बाढ़ आने और 45 बादल फटने की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। वर्तमान में राज्य में 826 सड़कें बंद हैं, जिनमें दो राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-3 (मंडी-धर्मपुर मार्ग) और एनएच-305 (औट-सैंज मार्ग) शामिल हैं। इसके अलावा, 1,480 बिजली ट्रांसफार्मर और 336 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं। कुल्लू क्षेत्र में सबसे अधिक 227 सड़कें बंद हैं। इसके बाद मंडी में 191, शिमला क्षेत्र में 146 और चंबा क्षेत्र में 88 सड़कें बंद हैं। सेब परिवहन के लिए महत्वपूर्ण शिमला-थियोग मार्ग छैला के पास जारी भूस्खलन के कारण बंद हो गया है।

रोहड़ू के भूर सेन ने बताया कि हम शनिवार शाम से यहां फंसे हुए हैं। मौसम खराब है और हम सेब को बाजारों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सड़कें बंद होने से सेब उत्पादकों को काफी परेशानी हो रही है। चंबा में भरमौर-मणिमहेश क्षेत्र में खोज एवं बचाव अभियान शनिवार को बंद कर दिया गया। उपायुक्त मुकेश रेपसवाल ने जनता से आग्रह किया है कि वे जिला हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके अपने परिवार के किसी भी लापता सदस्य की सूचना दे सकते हैं। 15 अगस्त को मणिमहेश यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 17 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है।

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