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कामयाबी के बावजूद ठहरी स्मृतियों की तलाश

बीएसएम पीजी कालेज रुड़की में 38 साल बाद मिले एमए अर्थशास्त्र के पूर्व छात्र
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रुड़की में बीएसएमपीजी कॉलेज में सपरिवार पहुंचे पूर्व छात्र। ट्रिन्यू
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मनुष्य अपने जीवन में पद, प्रतिष्ठा, धन व वैवाहिक रिश्तों का सुख हासिल करने के बावजूद अपने बचपन की यादों को नहीं भुला पाता। हकीकत है- समय किसी के लिये नहीं रुकता। सहपाठी भी पहले जैसा नहीं रहते। जीवन के उतार-चढ़ाव उसे भी बदल देते हैं। जैसे पानी की लहरें पत्थरों तक का स्वरूप बदल देती हैं। कमोवेश यही स्थिति हमारे स्कूल-कालेजों में बिताए समय की भी होती है। फिर भी हम उस दौर में फिर जाना चाहते हैं, जहां वक्त का पानी शिक्षा की धारा को बहा चुका है। छात्र बदल चुके हैं। शिक्षक बदल गए हैं। कालेजों का परिवेश बदल जाता है। लेकिन फिर भी कुछ छूटा तलाशने हम वहां चले ही जाते हैं। कहीं न कहीं बीते सुखद पल हमारे अवचेतना में जीवंत रहते हैं।यक्ष प्रश्न है कि सब कुछ पाकर भी क्या हम कालेज जीवन जैसा सुख फिर जीवन में हासिल कर पाते हैं? आकांक्षा होती है कि काश हम अपने छात्र जीवन के स्वर्णिम पलों को फिर से जी पाते। यथार्थबोध के बावजूद हम उन यादों से जुड़े प्रतीकों-प्रतिमानों से रू-ब-रू होते हैं। इसी सोच के साथ 38 साल पहले बीएसएम पीजी कालेज रुड़की में एमए अर्थशास्त्र के पूर्व छात्र बीते रविवार को कालेज परिसर में एकत्र हुए। जानते हुए भी कालेज में अब कोई भी वो शिक्षक मौजूद नहीं है, जिन्होंने उन्हें पढ़ाया था। इसके बावजूद वे कालेज परिसर में अपनी पुरानी कक्षाओं से रू-ब-रू होने भी पहुंचे। उस पुस्तकालय के करीब भी पहुंचे, जहां कभी वे अपने मित्रों से मिला करते थे। पहला जैसा कुछ न पाने के बावजूद उन्हें बहुत सुकून मिला।

उल्लेखनीय है कि, 38 साल बाद देशभर से आये एमए अर्थशास्त्र के पूर्व छात्रों में, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश झारखंड व उत्तराखंड के छात्र शामिल थे। इनमें संयुक्त शिक्षा निदेशक झांसी-चित्रकूट मंडल उ.प्र. राजू राणा, अंबूजा सीमेंट में वायस प्रेजीडेंट रहे संदीप पुरी, उद्यमी व समाजसेवी विवेक अग्रवाल, शिवालिक गेंजेस पब्लिक स्कूल के चेयरमैन मुकेश अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता अलका भार्गव, कारोबारी रुचिन गोयल, केंद्रीय विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य (रांची) मधुरेश चंद्रा, आध्यात्मिक अभियान से जुड़े सतीश धवन, केंद्रीय विद्यालय( दिल्ली) की प्रधानाचार्य सीमा शर्मा, महाराष्ट्र से आई शिक्षिका दिव्या सिंह, प्रोमिला(देहरादून) ने इस कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया। कालेज परिसर में भ्रमण के अलावा सांस्कृतिक व रचनात्मक कार्यक्रमों में भागेदारी की गई। इस कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार इस बैच के सदस्य, उद्यमी व समाजसेवी विवेक अग्रवाल थे।

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एमए अर्थशास्त्र ये छात्र अपने जीवन साथियों के साथ साढ़े तीन दशक बाद रुड़की में मिले। इनमें पूणे से दिव्या-नितिन सिंह, झांसी से राजू राणा-अर्चना, दिल्ली से संदीप पुरी-प्रीति, रुड़की से रुचिन गोयल-कुमकुम, देहरादून से मुकेश अग्रवाल, पटना से मधुरेश चंद्रा, रुड़की से विवेक-मीनाक्षी, सतीश धवन-संगीत, सीमा-अजय, देहरादून से प्रोमिला, कानपुर से अलका-पवन भार्गव व अरुण व अलका शामिल रहे हैं।

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