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आर्थिक स्वार्थ की चुनौतियों के बावजूद 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ‘बेजान अर्थव्यवस्था' के कटाक्ष का परोक्ष रूप से खंडन करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी और वैश्विक अनिश्चितताओं एवं आर्थिक स्वार्थ से प्रेरित चुनौतियों के...
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भावुक होकर कहा कि उनकी मां का अपमान दरअसल भारत की हर मां, बेटी और बहन का अपमान है। -पीटीआई
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ‘बेजान अर्थव्यवस्था' के कटाक्ष का परोक्ष रूप से खंडन करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी और वैश्विक अनिश्चितताओं एवं आर्थिक स्वार्थ से प्रेरित चुनौतियों के बीच सभी अनुमानों को पार कर गई है। ‘सेमीकॉन इंडिया 2025' सम्मेलन में उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि हर उम्मीद, आशा एवं अनुमान से बेहतर रही। उन्होंने कहा कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक स्वार्थ से प्रेरित चिंताओं एवं चुनौतियों का सामना कर रही हैं। ऐसे में भारत ने 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि यह वृद्धि सभी क्षेत्रों विनिर्माण, सेवा, कृषि और निर्माण में दिखाई दे रही है। हर जगह उत्साह साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की तेज वृद्धि सभी उद्योगों और हर नागरिक में नई ऊर्जा का संचार कर रही है। मोदी ने जोर देकर कहा कि वृद्धि की यह गति भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर कर रही है। प्रधानमंत्री ने चुनौतियों के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा लेकिन उनका यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूसी तेल की खरीद के कारण भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाने के कुछ दिनों बाद आया है। मोदी ने कहा, ‘आने वाले समय में, हम अगली पीढ़ी के सुधारों का एक नया चरण शुरू करने जा रहे हैं।' प्रधानमंत्री ने नियोजित सुधारों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे सबसे बड़े नियोजित सुधार का संकेत जरूर दिया जिसमें शैम्पू एवं हाइब्रिड कारों से लेकर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक तक आम इस्तेमाल की कई वस्तुओं पर कर में कटौती की जाएगी। जीएसटी परिषद तीन सितंबर से नयी दिल्ली में दो दिवसीय बैठक कर रही है, जिसमें प्रस्तावित दरों में कटौती पर चर्चा की जाएगी। ट्रंप ने जनवरी से एक व्यापक वैश्विक शुल्क कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत उन देशों से आयात पर उच्च दरें लगाई जा रही हैं जिनसे उनके प्रशासन की राजनीतिक शिकायतें थीं।

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