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Delhi Crime 3 : टीम ने की काम की उचित अवधि की वकालत, कहा- ‘सेट' पर रहना पसंद, लेकिन कभी-कभी थकाने वाला हो जाता है

फिल्म उद्योग में काम के घंटों को लेकर उस वक्त बहस छिड़ गई
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Delhi Crime 3 : ‘‘दिल्ली क्राइम 3'' की कलाकार शेफाली शाह, रसिका दुग्गल और हुमा कुरैशी ने कार्यस्थल के ऐसे माहौल की आवश्यकता बताई है जो ‘‘शोषणकारी न हो और परिस्थिति के अनुसार रचनात्मक स्वतंत्रता की अनुमति दे।''करीब तीन दशक से फिल्म उद्योग में सक्रिय शेफाली शाह ने कहा कि वह अब यह कहने की स्थिति में हैं कि, ‘‘मैं अब (कार्यस्थल से) घर जाना चाहती हूं।''

अभिनेत्री ने बताया कि उन्हें ‘सेट' पर रहना बहुत पसंद है, लेकिन कभी-कभी यह थकाने वाला हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय एमी पुरस्कार जीत चुकी सीरीज के तीसरे सीजन में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) वार्तिका चतुर्वेदी के रूप में वापसी कर रहीं अभिनेत्री ने कहा कि बीते कुछ वर्षों के बाद, अब मैं यह कह सकती हूं, ‘मुझे घर जाना है।' हम परिस्थितियों को समझते हैं- कभी-कभी हमें काम पूरा करना होता है, तो हम उसे भी करते हैं लेकिन आप इसे सामान्य नहीं बना सकते।'' फिल्म उद्योग में काम के घंटों को लेकर उस वक्त बहस छिड़ गई, जब बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म "स्पिरिट" से बाहर होने का फैसला किया क्योंकि काम की अवधि प्रतिदिन 8 घंटे तक सीमित करने के अनुरोध पर निर्माताओं के साथ मतभेद थे।

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'दिल्ली क्राइम' में पुलिस अधिकारी नीति सिंह की भूमिका निभा रहीं दुग्गल ने कहा कि ‘सेट' पर काम के घंटों के संबंध में उचित नियम बनाए जाने चाहिए। कुछ ढांचा, कुछ नियम होने चाहिए, अन्यथा ऐसा होगा कि प्रभावशाली व्यक्ति मन मुताबिक अवधि तक काम करेगा और जिनकी बात नहीं सुनी जाती, उनका शोषण होगा तथा ऐसी व्यवस्था का आप हिस्सा नहीं बनना चाहेंगे। एक ऐसा मानदंड होना चाहिए जो शोषणकारी न हो और परिस्थिति के अनुरूप काम किया जाए, जिसके लिए हम तैयार हैं।

इस सीजन में शो के कलाकारों में शामिल अभिनेत्री सयानी गुप्ता और हुमा कुरैशी ने कामकाज और जीवन के बीच संतुलन की बहस पर अपनी राय रखी। अभिनेताओं को अपने प्रभावशाली पदों का लाभ उठाकर स्वयं और अपनी टीम के लिए बेहतर मानक स्थापित करने चाहिए। वे कुछ मानक तय कर सकते हैं। अगर आप मुझसे 22 घंटे काम करवाएं, तो मैं कहूंगी कि ऐसा नहीं करूंगी, लेकिन एक चीज जो मैं कभी नहीं करूंगी, वह है सेट से यह कहते हुए बाहर जाना कि 'बस, मेरा समय पूरा हो गया है और मैं जा रही हूं', मैं ऐसा कभी नहीं करूंगी क्योंकि मैं एक फिल्म निर्माता भी हूं।

कुरैशी ने कहा कि मुझे लगता है कि जिस बात (48 घंटे काम करने) का मैंने ज़िक्र किया है, वह एक बार के लिए है, यह सामान्य नहीं है। बस कभी-कभी आपको समझ आता है कि आपके निर्माताओं की कुछ मजबूरियां हैं। अगर आप नहीं आएंगे, तो काफी आर्थिक नुकसान होगा। हम नहीं चाहते कि किसी को नुकसान हो।

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