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राज्यपाल से मिला बाबू बालमुकुंद गुप्त परिषद् का प्रतिनिधिमंडल

चंडीगढ़, 13 मई (ट्रिन्यू)नारद जयंती के अवसर पर हिंदी पत्रकारिता के मसीहा तथा हिंदी गद्य के जनक स्व. बाबू बालमुकुंद गुप्त के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व को प्रेरणापुंज बनाने में जुटी साहित्यिक संस्था बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण...
चंडीगढ़ में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को साहित्य भेंट करते बाबू बालमुकुंद को परिषद् के प्रतिनिधि। -ट्रिन्यू
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चंडीगढ़, 13 मई (ट्रिन्यू)नारद जयंती के अवसर पर हिंदी पत्रकारिता के मसीहा तथा हिंदी गद्य के जनक स्व. बाबू बालमुकुंद गुप्त के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व को प्रेरणापुंज बनाने में जुटी साहित्यिक संस्था बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद् के प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को गुप्त जी की ग्रंथावली और साहित्य भेंट किया और उनकी पुण्यतिथि पर प्रस्तावित राज्य स्तरीय साहित्यिक समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पधारने का निमंत्रण दिया।

परिषद् के मुख्य संरक्षक व हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा की अगुवाई तथा हरियाणा पत्रकार संघ के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार केबी पंडित के संयोजन में प्रतिनिधिमंडल ने महामहिम को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उन्हें गुप्त जी की ग्रंथावली तथा साहित्य भेंट किया गया। गुप्त जी की उर्दू पत्रकारिता के संदर्भ में डॉ. त्रिखा, हिंदी पत्रकारिता के संदर्भ में पंडित तथा उनकी जन्मस्थली गांव गुड़ियानी (रेवाड़ी) की पैतृक हवेली तथा परिषद् की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी परिषद् संरक्षक अधिवक्ता नरेश चौहान ने दी। उनके साहित्य के शोधार्थी डॉ. प्रवीण खुराना ने साहित्य एवं पत्रकारिता में उनके योगदान से महामहिम को वाकिफ करवाया। परिषद् अध्यक्ष ऋषि सिंहल ने परिषद् की लंबित परियोजनाओं की जानकारी दी। इनमें हवेली में संग्रहालय एवं ई-लाइब्रेरी खोलने, विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रम में गुप्त जी को शामिल करना, सभी विश्वविद्यालय में उनके नाम से पीठ स्थापित करना, उनके नाम से साहित्य सदन तथा शोध संस्थान स्थापित करना शामिल है।

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राज्यपाल ने गुप्त जी के साहित्य में विशेष रुचि दिखाई। उन्होंने कहा कि समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में साहित्यकार एवं पत्रकारों की योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि उनके योगदान को प्रेरणापुंज बनाने के लिए निरंतर नवाचारी साहित्यिक आयोजनों की जरूरत है।

 

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