नयी दिल्ली, 18 जून (एजेंसियां) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना में भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा के बाद पैदा हुए समग्र हालात को लेकर थलसेना, नौसेना और वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ शनिवार को बैठक की। बैठक में भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी भी पहुंचे। मोदी बिहार से ताल्लुक रखते हैं जो इस योजना के खिलाफ हिंसक आंदोलन के केंद्र के रूप में उभरा है। इस योजना को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इस बैठक में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और थलसेना उपप्रमुख जनरल बी एस राजू ने भाग लिया। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में अग्निपथ योजना को जल्द लागू करने और प्रदर्शनकारियों को शांत करने के तरीके खोजने पर ध्यान केंद्रित किया गया। थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे बैठक में भाग नहीं ले पाए, क्योंकि वह एक आधिकारिक दौरे पर हैदराबाद में हैं।
अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ प्रदर्शन के जोर पकड़ने के बीच थलसेना, नौसेना और वायुसेना ने इस नए ‘प्रारूप’ के तहत अगले हफ्ते तक चयन प्रक्रिया शुरू करने की शुक्रवार को घोषणा की। वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने कहा कि अग्निपथ योजना के तहत वायुसेना द्वारा चयन प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी, जबकि थलसेना ने कहा कि वह भर्ती के लिए प्रारंभिक अधिसूचना जारी कर दो दिन के भीतर इसकी प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर देगी। वहीं, नौसेना ने कहा कि वह ‘‘बहुत जल्द” भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी। नौसेना के एक वरिष्ठ कमांडर ने कहा कि भर्ती के लिए अधिसूचना एक हफ्ते के अंदर जारी कर दी जाएगी। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने बताया कि तीनों सशस्त्र बल नयी योजना के तहत अभियानगत और गैर-अभियागत भूमिकाओं में रंगरूटों के प्रथम बैच को अगले साल जून तक तैनात करने की योजना बना रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश के तहत सरकार ने बृहस्पतिवार रात इस योजना के तहत 2022 के लिए सैनिकों की भर्ती के वास्ते ऊपरी उम्र सीमा 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी। अग्निपथ योजना के तहत चार साल के अनुबंध के आधार पर साढ़े सत्रह साल से 21 साल की आयु के जवानों की भर्ती की जाएगी, जिसके बाद उनमें से 75 प्रतिशत को पेंशन के बिना अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। शेष 25 प्रतिशत को नियमित सेवा के लिए बरकरार रखा जाएगा। इन जवानों का चयन उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।
इसे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को योजना का बचाव करते हुए कहा कि इसे पूर्व सैनिकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया है। सिंह ने कहा कि योजना के संबंध में राजनीतिक कारणों से ‘भ्रम’ फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह योजना सशस्त्र बलों की भर्ती प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस योजना को पूर्व सैनिकों के साथ लगभग दो साल तक विचार-विमर्श करने के बाद लागू किया गया है और इस संबंध में आम सहमति के आधार पर निर्णय लिया गया है। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि ‘अग्निपथ योजना’ के तहत भर्ती किए जाने वाले कर्मियों को राज्य सरकारों, निजी उद्योगों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अर्धसैनिक बलों की विभिन्न नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी।