मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Cyber ​​Fraud : ‘डिजिटल अरेस्ट' कर बुजुर्ग व्यक्ति से ठगे 1.16 करोड़, 3 लोग गिरफ्तार

पैसों के लिए उन्होंने खाता बिहार में रूपेश कुमार को सौंप दिया
प्रतीकात्मक चित्र।
Advertisement

Cyber ​​Fraud : दिल्ली पुलिस ने एक बुजुर्ग को ‘डिजिटल अरेस्ट' करने के बाद उससे 1.16 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में साइबर धोखाधड़ी सिंडिकेट के तीन कथित सदस्यों को गिरफ्तार किया है। अधिकारी ने बताया कि खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताते हुए आरोपी ने एक वीडियो कॉल के दौरान पीड़ित 82 वर्षीय व्यक्ति को एक फर्जी गिरफ्तारी आदेश दिखाया।

दबाव बनाकर और कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर बुजुर्ग व्यक्ति को कुल 1.16 करोड़ रुपये अंतरित करने के लिए मजबूर किया गया। जांच के दौरान, पुलिस को पता चला कि ठगी गई रकम का एक बड़ा हिस्सा करीब 1.10 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश स्थित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के चालू खाते में जमा किया गया था।

Advertisement

हालांकि, यह खाता बिहार के पटना से जालसाजों द्वारा कथित तौर पर संचालित किया जा रहा था। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर इसी बैंक खाते के खिलाफ 32 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिसमें कुल मिलाकर लगभग 24 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल है। मामले की जांच के तहत हिमाचल प्रदेश और बिहार में कई छापेमारी की गई, जिससे तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बिहार के नालंदा जिला निवासी प्रभाकर कुमार (27), बिहार के वैशाली जिला निवासी रूपेश कुमार सिंह (37) और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला निवासी देव राज (46) के रूप में हुई है। प्रभाकर कुमार ने देव राज के मोबाइल फोन पर एक एपीके फाइल इंस्टॉल की, जिससे धोखाधड़ी वाले बैंक खातों से जुड़े सिम कार्ड सक्रिय हो गए।

वह इंटरनेट-आधारित वर्चुअल नंबरों के माध्यम से साइबर ठगों से कथित तौर पर लगातार संपर्क में रहा, नकद कमीशन प्राप्त किया, सहयोगियों के बीच आय वितरित की और अपनी भूमिका के लिए पर्याप्त हिस्सा प्राप्त किया। रूपेश कुमार सिंह ने कथित तौर पर डाक वितरण के माध्यम से बैंक खाता किट प्राप्त की और पटना में सह-आरोपियों की समन्वित बैठकें कीं।

पुलिस ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में एक एनजीओ चलाने वाले देव राज ने अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अपने पिता वेद प्रकाश की मिलीभगत से एनजीओ के नाम पर कथित तौर पर एक चालू खाता खोला। पैसों के लिए उन्होंने खाता बिहार में रूपेश कुमार को सौंप दिया। देव राज ने इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल और ओटीपी कथित तौर पर साझा किए, लेनदेन को अंजाम देने के लिए पटना की यात्रा की और धोखाधड़ी की आय से कमीशन प्राप्त किया।

Advertisement
Tags :
cyber fraudDainik TribuneDainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newsDelhi crimeDelhi PoliceDigital Arrestfraud newsHindi Newslatest newsदैनिक ट्रिब्यून न्यूजदैनिक ट्रिब्यून हिंदी न्यूजहिंदी खबरहिंदी समाचार
Show comments