आईपीएस सुसाइड केस में नया विस्फोट : रोहतक के एएसआई ने खुद को गोली मारी, छोड़ा चार पेज का ‘फाइनल नोट’
हरियाणा में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद अब राज्य पुलिस महकमे में एक और बड़ा झटका लगा है। रोहतक साइबर सेल के एएसआई संदीप लाठर ने मंगलवार को खेत के ट्यूबवेल पर सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। घटना स्थल रोहतक-पानीपत हाईवे के मकड़ौली टोल प्लाजा के पास बताया जा रहा है।
पुलिस को मौके से चार पन्नों का सुसाइड नोट और एक वीडियो मैसेज मिला है। दोनों में उन्होंने दिवंगत एडीजीपी वाई पूरन कुमार पर भ्रष्टाचार, दुराचार और सिस्टम को जातिवाद के नाम पर हाइजैक करने के आरोप लगाए हैं। यही नहीं, वाई पूरन कुमार केस में सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई पर भी एएसआई ने सवाल उठाए हैं। मृतक ने एडीजीपी की आईएएस पत्नी और परिवार पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
एएसआई की आत्महत्या भी क्योंकि सीधे तौर पर एडीजीपी वाई पूरन कुमार से जुड़ी है, इसलिए अब राज्य सरकार के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया है। सुसाइड नोट में संदीप लाठर ने लिखा, ‘वाई पूरन कुमार भ्रष्टाचारी अफसर था। उसके खिलाफ कई सबूत हैं। उसने जातिवाद का सहारा लेकर सिस्टम को हाइजैक कर लिया। मैं अपनी शहादत देकर सच्चाई की जांच की मांग कर रहा हूं। इस भ्रष्टाचारी परिवार को छोड़ा नहीं जाना चाहिए।’ उन्होंने आगे लिखा कि वाई पूरन कुमार ने आईजी रहते हुए अपने करीबी भ्रष्ट अधिकारियों की ड्यूटी लगाई, फाइलों में खामियां निकालकर कर्मचारियों से पैसे वसूले और महिला स्टाफ को ट्रांसफर का डर दिखाकर ज्यादती की।
‘फाइनल नोट’ और वीडियो से हड़कंप
एएसआई संदीप लाठर ने अपने सुसाइड नोट को ‘फाइनल नोट’ शीर्षक दिया, ठीक वैसे ही जैसे वाई पूरन कुमार ने अपने आत्महत्या पत्र को ‘फाइनल नोट’ नाम दिया था। उन्होंने अपने बयान का वीडियो भी बनाया जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। वीडियो में लाठर कहते नजर आ रहे हैं कि सिस्टम को कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए तोड़ रहे हैं और वह सच्चाई के लिए अपनी जान दे रहे हैं।
वाई पूरन कुमार केस का बैकड्रॉप, अब कहानी पलटती दिख रही है
7 अक्तूबर को एडीजीपी वाई पूरन कुमार ने खुद को गोली मार ली थी। अपने आठ पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया समेत 15 वरिष्ठ अधिकारियों पर जाति आधारित उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। उसके बाद से पूरे हरियाणा में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक हलचल जारी है। दलित संगठनों और विपक्ष ने इस मामले को जातीय भेदभाव से जोड़कर सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं।
मंगलवार को राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी दिवंगत अधिकारी के परिवार से मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन अब एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्या ने पूरा घटनाक्रम उलट दिया है। जहां एक ओर वाई पूरन कुमार का परिवार इंसाफ मांग रहा है, वहीं लाठर का सुसाइड नोट दावा करता है कि ‘पूरन कुमार खुद भ्रष्ट थे और गिरफ्तारी के डर से उन्होंने आत्महत्या की।’
डीजीपी कपूर को छुट्टी पर भेजने और एसपी बिजारनिया को हटाने पर भी सवाल
अपने सुसाइड नोट में एएसआई लाठर ने सरकार की हालिया कार्रवाई पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा, ‘डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेजना और नरेंद्र बिजारनिया को हटाना गलत फैसला है। असली सच की जांच की जानी चाहिए।’ मृतक लाठर ने शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजारनिया को ईमानदार अधिकारी बताया है। इस बयान ने पुलिस प्रशासन और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। एक ओर दलित संगठनों का दबाव है, वहीं दूसरी ओर पुलिस बल के भीतर मनोबल और निष्पक्षता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग में मचा हड़कंप
दूसरे पुलिसकर्मी की आत्महत्या की खबर मिलते ही डीजीपी कार्यालय और गृह विभाग में हड़कंप मच गया। देर रात तक वरिष्ठ अधिकारी रोहतक में डेरा डाले रहे। सूत्रों के अनुसार, गृह विभाग ने सुसाइड नोट की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल एफएसएल टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं।
राजनीति में गरमाया माहौल, कौन सच्चा कौन दोषी
इस पूरे घटनाक्रम ने वाई पूरन कुमार केस की दिशा ही बदल दी है। जहां एक ओर विपक्ष इसे दलित अधिकारी के साथ अन्याय बता रहा है, वहीं दूसरी ओर संदीप लाठर का सुसाइड नोट यह नया नैरेटिव पेश करता है कि पूरन कुमार भ्रष्टाचार में लिप्त थे और पकड़े जाने के डर से उन्होंने आत्महत्या की। इसने राज्य की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है।
दोहरे आत्महत्या केस ने हिला दी हरियाणा पुलिस
एक सप्ताह में दो पुलिस अधिकारियों की आत्महत्याओं ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया है। दोनों ने ही ‘फाइनल नोट’ छोड़कर सिस्टम की पोल खोली है, लेकिन दोनों की कहानियां बिल्कुल विपरीत हैं। अब यह मामला सिर्फ पुलिस विभाग का नहीं, बल्कि हरियाणा की राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक विश्वसनीयता का सवाल बन गया है।
पहली घटना में भेदभाव और उत्पीड़न का दर्द सामने आया, वहीं दूसरी में भ्रष्टाचार और सिस्टम के क्षरण की सच्चाई सामने आई। कौन सही, कौन गलत, यह तो जांच से ही स्पष्ट होगा। पर इतना तय है कि हरियाणा की कानून व्यवस्था और राजनीति दोनों के लिए यह मामला अब ‘सिस्टम बनाम सियासत’ की खुली जंग बन चुका है।