नयी दिल्ली, 4 जून (एजेंसी)
दिल्ली की एक अदालत ने आईएमए के अध्यक्ष जेए जयालाल को संगठन के मंच का प्रयोग किसी भी धर्म के प्रचार के लिए न करने का निर्देश देते हुए कहा, ‘मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना’।
कोर्ट ने उन्हें आगाह किया कि जिम्मेदार पद की अध्यक्षता करने वाले किसी व्यक्ति से हल्की टिप्पणी की उम्मीद नहीं की जा सकती। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अजय गोयल ने जयालाल के खिलाफ दायर केस में आदेश पारित किया। उनपर कोविड-19 रोगियों के उपचार में आयुर्वेद पर एलोपैथिक दवाओं की श्रेष्ठता साबित करने की आड़ में ईसाई धर्म का प्रचार कर हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक अभियान का आरोप लगाया गया था।
शिकायतकर्ता रोहित झा ने कहा कि जयालाल हिंदुओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए जोर देने के मकसद से आईएमए की ओट लेकर, अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने अध्यक्ष के लेखों और साक्षात्कारों इस मामले में हवाला दिया था।