पणजी, 2 जून (एजेंसी)बंबई हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने बुधवार को कहा कि 2013 के बलात्कार मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल को बरी करने का सत्र अदालत का फैसला ‘‘बलात्कार पीड़िताओं के लिए एक नियम पुस्तिका” जैसा है क्योंकि इसमें यह बताया गया है कि एक पीड़िता को ऐसे मामलों में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। जस्टिस एस सी गुप्ते ने गोवा सरकार की अपील पर तेजपाल को नोटिस जारी किया। जस्टिस गुप्ते ने तेजपाल की रिहाई के सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ गोवा सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई के लिए 24 जून की तारीख तय की है। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री विभाग को मामले से जुड़े सभी कागजातों और अन्य दस्तावेजों को सत्र अदालत से मंगवाने का भी निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले को शामिल नहीं किया गया है। जस्टिस गुप्ते ने कहा कि फैसला सीधे मामले के सार में और फिर पीड़िता के साक्ष्यों तथा गवाहों के बयानों को ध्यान में रखकर दिया गया है। अदालत ने कहा, “यह प्रथम दृष्टया रिहाई के खिलाफ दायर अपील पर विचार करने का मामला लगता है। प्रतिवादी (तेजपाल) को नोटिस जारी करने और 24 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा जाता है।” हाईकोर्ट की पीठ ने ये टिप्पणियां तब की जब गोवा सरकार का पक्ष रख रहे सॉलीसीटर जनरल ने सत्र अदालत के 527 पन्नों के फैसले के कुछ हिस्सों को पढ़ा जिसमें पीड़िता के व्यवहार (कथित घटना के दौरान और बाद में) का जिक्र किया गया है और कहा कि इसमें वर्णन ‘‘अत्यधिक असंभवता” का था। मेहता ने कहा, “फैसले में कहा गया कि पीड़िता जोकि एक बुद्धिमान महिला है और योग प्रशिक्षण होने के कारण शारीरिक रूप से मजबूत है, वह खुदपर हुए यौन हमले को रोक सकती थी।” उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि इस मामले में पीड़िता पर मुकदमा चल रहा था या आरोपी पर। पूरा फैसला ऐसा है कि मानो पीड़िता पर मुकदमा चल रहा था। पीड़िता के यौन इतिहास पर इतनी अधिक चर्चा क्यों होनी चाहिए थी।”
यह था मामला
यह घटना नवंबर 2013 की थी जब गोवा में एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान तेजपाल पर अपनी उस वक्त सहयोगी रही महिला से पांच सितारा होटल के लिफ्ट में उसका यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे। निचली अदालत ने अपने फैसले में महिला के आचरण पर सवाल उठाए थे, यह कहते हुए कि वह सदमे या आघात जैसा कोई भी “नियामक व्यवहार” नहीं प्रदर्शित करती जो यौन उत्पीड़न की किसी पीड़िता के व्यवहार में जाहिर तौर पर दिखता है। हाईकोर्ट ने कहा कि वह फैसले में कही गईं इन बातों समेत तमाम अन्य पहलुओं पर सुनवाई की अगली तारीख पर चर्चा करेगा।