मुंबई, 8 जुलाई, (एजेंसी)
बंबई हाईकोर्ट ने भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी के खिलाफ एक मामले के सिलसिले में जांच का सामना कर रहे एक हीरा कारोबारी द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी है। याचिका के जरिये, केंद्र सरकार के गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा रमेश शाह नाम के हीरा कारोबारी के खिलाफ जारी ‘लुकआउट सर्कुलर’ (एलओसी) को चुनौती दी गई थी। जस्टिस पी. बी. वारले और जस्टिस एस. एम. मोदक की खंडपीठ ने रमेश शाह द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसमें एसएफआईओ को उन पर लगाई गई यात्रा पाबंदियों को हटाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामला एक गंभीर धोखाधड़ी का है जिसमें सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है और इसमें संलिप्त कुछ लोगों को पकड़ा जाना अभी बाकी है। पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि एसएफआईओ ने यह दलील दी है कि शाह ने भगोड़े अपराधी चोकसी के स्वामित्व वाले गीतांजलि जेम्स के शेयर खरीदने में धन का निवेश करने के बारे में सही और पूरी सूचना नहीं दी थी। अदालत ने कहा, ‘‘जांच एजेंसी (एसएफआईओ) को विभिन्न संपर्कों का पता लगाने की जरूरत है और यदि याचिकाकर्ता को विदेश जाने की अनुमति दी गई तो उसके जांच में शामिल नहीं होने और आखिरकार जांच को नुकसान पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’
शाह ने दावा किया था कि उन्होंने गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के 2015 में कुछ शेयर खरीदे थे और सेबी से आवश्यक अनुमति लेने के बाद उनमें से कुछ को 18 महीने बाद बेच दिये। शाह को सितंबर 2019 में एसएफआईओ से एक नोटिस मिला, जिसमें कहा गया था कि गीतांजलि जेम्स की गतिविधियों की जांच शुरू की गई है और उन्हें उनके द्वारा खरीदे गये शेयर से जुड़े खास दस्तावेज सौंपने को निर्देश दिया गया है। शाह के वकील ने दलील दी थी कि विदेश यात्रा करना शाह का मूल अधिकार है और एसएफआईओ के संदेह पर एलओसी जारी किया जाना उनके मूल अधिकार का हनन है।