नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली पुलिस से उसका रुख पूछा है। अदालत ने कहा कि उमर खालिद का एक भाषण, जो फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश के लिए आरोपी के खिलाफ मामले का आधार बना, वह “अपने आप में आपत्तिजनक” था और प्रथम दृष्टया स्वीकार्य नहीं है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भाषण में कुछ बयान आपत्तिजनक थे और उसने यह धारणा दी कि केवल एक संस्था ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।
कोर्ट में विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व किया। अदालत ने दिल्ली पुलिस को कड़े यूएपीए के तहत मामले में दायर जमानत अर्जी पर अपना संक्षिप्त जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 अप्रैल को सूचीबद्ध किया। फरवरी 2020 में अमरावती में खालिद द्वारा दिए गए भाषण का एक हिस्सा उनके वकील ने पीठ के समक्ष पढ़ा। पीठ में जस्टिस रजनीश भटनागर भी शामिल थे।
खालिद की टिप्पणी ‘जब आपके पूर्वज दलाली कर रहे थे’ के संदर्भ में अदालत ने कहा, “यह आपत्तिजनक है। इन अभिव्यक्तियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्या आपको नहीं लगता कि वे लोगों को उकसाते हैं?” अदालत ने कहा, “स्वतंत्र भाषण से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप क्या कह रहे हैं?” अदालत ने कहा, “यह अपने आप में आपत्तिजनक है।