Counter Claim सोनम वांगचुक की पत्नी ने पाकिस्तान से संबंध के आरोपों को खारिज किया, पूछा क्या जलवायु सम्मेलन में भाग लेने से कोई आईएसआई एजेंट बन सकता है?
लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर पाकिस्तान से संबंध होने के आरोपों को उनकी पत्नी गीतांजलि जे आंगमो ने कड़े शब्दों में खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह ‘मनगढ़ंत कहानी’ गढ़कर वांगचुक की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।
गीताांजली ने सवाल उठाया, ‘क्या संयुक्त राष्ट्र या किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होना किसी को आईएसआई एजेंट बना देता है? जब सरकार खुद चीन से टैबलेट खरीद रही थी, तब वांगचुक तो कह रहे थे कि चीन से लड़ाई बुलेट से नहीं बल्कि वॉलेट से होनी चाहिए। क्या ऐसा व्यक्ति राष्ट्रविरोधी हो सकता है?’ उन्होंने कहा कि अगर भारत चीन से क्रिकेट खेलता है तो क्या खिलाड़ी भी राष्ट्रविरोधी कहलाएंगे?
सरकार को आईना दिखाया
वांगचुक को ‘राष्ट्रविरोधी’ बताने वाले आरोपों पर गीताांजली ने सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘आइस स्तूपा और सोलर-हीटेड बिल्डिंग्स के लिए वांगचुक को यही सरकार पुरस्कार दे चुकी है। सेना तक इन प्रोजेक्ट्स का इस्तेमाल कर रही है। अगर वे राष्ट्रविरोधी हैं तो क्या सरकार पहले अंधी थी?’
छठी अनुसूची है असली मुद्दा
गीतांजलि ने साफ किया कि यह विवाद असल में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को कमजोर करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, ‘यह आंदोलन केवल सोनम वांगचुक का नहीं, बल्कि पूरे लद्दाख का है। छठी अनुसूची विकास के खिलाफ नहीं है, बल्कि नाजुक पारिस्थितिकी और जनजातीय हितों की रक्षा का लोकतांत्रिक उपाय है।’
हिरासत और कर्फ्यू पर आरोप
24 सितम्बर की हिंसा के बाद वांगचुक की हिरासत और लेह में कर्फ्यू पर भी उन्होंने सवाल उठाए। गीतांजलि ने बताया, ‘हम व्यावहारिक रूप से नजरबंद हैं। स्टाफ और छात्र हिरासत में रखे गए हैं। चार दिन से न कोई फोन आया, न आदेश मिला। क्या यही लोकतंत्र है?’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार भय का माहौल बनाकर शांतिप्रिय आंदोलन को दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र संवाद से चलता है, दमन से नहीं। इस बीच, लेह में बीएनएसएस-2023 की धारा 163 के तहत लगे प्रतिबंधों में आज तीन घंटे की ढील दी गई, जिसके दौरान लोग आवश्यक सामान खरीदने बाजारों में पहुंचे।