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उप्र में कांग्रेस-सपा गठबंधन 'स्वाभाविक', विधानसभा चुनाव में भी जारी रहेगा: अजय राय 

लखनऊ, सात जून (भाषा) उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन को 'स्वाभाविक गठबंधन' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनावों में भी...
अजय राय। पीटीआई फाइल फोटो
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लखनऊ, सात जून (भाषा)

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन को 'स्वाभाविक गठबंधन' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनावों में भी जारी रहेगा, ताकि राज्य में भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंका जा सके।

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राय ने कहा कि वह राहुल गांधी से संसद में रायबरेली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने का अनुरोध करेंगे। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में गांधी को उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट के साथ-साथ केरल की उनकी मौजूदा सीट वायनाड से भी जीत मिली है।

राय ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा कि "समाजवादी पार्टी के साथ हमारा गठबंधन स्वाभाविक है और यह उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनावों में भी जारी रहेगा।" प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह शनिवार को दिल्ली जाएंगे और "राहुल जी से संसद में रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व करने का पुरजोर अनुरोध करेंगे।"

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हारने वाले राय ने कहा कि उनकी (मोदी) जीत का अंतर काफी कम हो गया है और "यह उनके लिए नैतिक क्षति है।" मोदी ने इस बार वाराणसी से 1,52,513 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है, जबकि 2019 के चुनाव में उन्हें 4,79,505 वोटों के अंतर से जीत मिली थी।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में समाजवादी पार्टी (सपा) की शालिनी यादव दूसरे स्थान पर रही थीं, जबकि राय ने तब तीसरा स्थान हासिल किया था। शालिनी यादव बाद में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ''वाराणसी में मोदी के विकास कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि जमीन पर बहुत कम काम दिख रहा है।"

राय ने अपनी पार्टी के साथ-साथ सपा और आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं को वाराणसी में जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचने और विपक्ष के लिए सीट पर अच्छा परिणाम लाने के लिए धन्यवाद दिया।

राय ने अपनी राजनीतिक यात्रा भाजपा से शुरू की, लेकिन बाद में कांग्रेस में चले गए। वह 1996 से पांच बार विधायक रहे। 2009 में टिकट न मिलने पर उन्होंने भाजपा छोड़ दी और सपा में चले गये।

इसके बाद सपा ने उन्‍हें 2009 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया और भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के मुकाबले वह तीसरे स्थान पर रहे जबकि दूसरा स्‍थान दिवंगत बाहुबली मुख्तार अंसारी को मिला था। इसके बाद 2014, 2019 के संसदीय चुनाव और हाल के चुनावों में राय कांग्रेस से चुनाव लड़े।

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