कांग्रेस ने कहा- जब पहलगाम हमले और ट्रंप के दावे का मुद्दा उठे तो PM संसद में रहें मौजूद
Parliament Monsoon Session: कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारंपरिक संबोधन से पहले सोमवार को कहा कि विपक्ष की ओर से जब पहलगाम आतंकवादी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावे का मुद्दा उठाए जाएं तो प्रधानमंत्री को सदन में मौजूद रहना चाहिए।
संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है और 21 अगस्त तक कुल 21 बैठकें प्रस्तावित हैं। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर ‘पोस्ट' किया, "कुछ ही देर में सज-धज कर प्रधानमंत्री संसद भवन के बाहर अपने चिर-परिचित अंदाज में मीडिया के सामने देश के नाम अपना संदेश देंगे। हर बार की तरह, इस बार भी वही घिसी-पिटी, खोखली बातें दोहराई जाएंगी।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी संसद में बहुत, बहुत, बहुत कम दिखाई देते हैं। वह साल में केवल एक बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान बोलते हैं लेकिन इस बार जब पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रपति ट्रंप से जुड़े मुद्दे संसद में चर्चा के लिए आएंगे तो उन्हें देश के प्रति अपनी जवाबदेही जरूर निभानी चाहिए।"
उन्होंने प्रधानमंत्री के ब्रिटेन एवं मालदीव के प्रस्तावित दौरों का हवाला देते हुए कटाक्ष किया, "48 घंटे बाद यह ‘सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर' प्रधानमंत्री एक और विदेशी दौरे पर निकल पड़ेंगे। मणिपुर की जनता के पास निराश होने की एक और वजह होगी।"
कांग्रेस और विपक्षी 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) गठबंधन के 23 अन्य घटक दलों ने फैसला किया है कि वे पहलगाम आतंकवादी हमले, ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोके जाने, ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावे, बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कई अन्य मुद्दों को इस सत्र में प्रमुखता से उठाएंगे।
राजनीतिक दल सदन के सुचारू संचालन और स्वस्थ संवाद में सहयोग दें: बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले सोमवार को सभी राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे सदन के सुचारू संचालन, रचनात्मक विमर्श और स्वस्थ लोकतांत्रिक संवाद में अपना सहयोग दें।
बिरला ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "18वीं लोकसभा का पाँचवां सत्र (मानसून सत्र) आज से प्रारंभ हो रहा है। लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में जनाकांक्षाओं की अभिव्यक्ति और राष्ट्रीय हितों के संरक्षण हेतु हम सभी प्रतिनिधियों की सामूहिक भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने कहा, "मानसून सत्र से पूर्व मेरा सभी दलों के नेताओं एवं माननीय सदस्यों से आग्रह है कि वे सदन के सुचारु संचालन, रचनात्मक विमर्श और स्वस्थ लोकतांत्रिक संवाद में अपना सहयोग दें, ताकि हम समावेशी विकास, सामाजिक न्याय और आर्थिक प्रगति के लिए ठोस कदम उठा सकें।"
उन्होंने उम्मीद जताई कि लोकतंत्र की गरिमा, संसद की प्रतिष्ठा और जनहित की प्राथमिकता जैसे मूल्यों को समर्पित यह मानसून सत्र सार्थक और सफल होगा तथा हम सब मिलकर लोकतांत्रिक चेतना, विविधता में एकता एवं संवैधानिक मूल्यों को और अधिक सशक्त करने की दिशा में सार्थक योगदान देंगे।