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हरियाणा में गैर-जाट समीकरण साधने में जुटी कांग्रेस, संगठन में चला OBC कार्ड

Haryana Congress: 2024 के विधानसभा चुनावों में मिली हार से कांग्रेस ने लिया सबक

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राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खड़गे की फाइल फोटो। स्रोत राहुल गांधी के वाट्सएप चैनल से
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Haryana Congress: 2024 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने हरियाणा में ‘संगठन सृजन’ का नया पत्ता फेंका है। इस बार दांव सीधे गैर-जाट वोट बैंक पर है। बैकवर्ड कार्ड खुलकर खेला गया है। राहुल गांधी के इशारे पर जारी 32 जिला अध्यक्षों की सूची जातीय और गुटीय गणित का ऐसा मेल है, जिसमें हर धड़े को उसका हिस्सा देने की कोशिश दिखती है, लेकिन हर कोई पूरी तरह संतुष्ट भी नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी चेहरों को जगह तो मिली है, लेकिन ‘फ्रंटलाइन’ नाम कटे नजर आए। दूसरी ओर, एंटी-हुड्डा खेमे की अगुवाई करने वाली कुमारी सैलजा ने बड़ी बाजी मारी। अंबाला से लेकर फरीदाबाद, सिरसा, हिसार और दादरी तक उनके समर्थक जिला अध्यक्ष बने। रणदीप सिंह सुरजेवाला और अजय सिंह यादव भी अपने-अपने हिस्से का ‘कोटा’ सुरक्षित करने में सफल रहे।

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टिकट वितरण में जाट वर्चस्व के आरोप झेलने के बाद कांग्रेस ने इस बार संगठन में जातीय संतुलन साधने की कोशिश की है। कुल 6 जाट जिला अध्यक्ष, बाकियों में गैर-जाट, पंजाबी, ब्राह्मण, राजपूत और बनिया चेहरों को तवज्जो। रोहतक-झज्जर जैसे ‘जाटलैंड’ इलाकों में भी गैर-जाट पर दांव खेला गया है।

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भाजपा के ‘सैनी कार्ड’ का जवाब देते हुए कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग को लुभाने के लिए 10 ओबीसी जिला अध्यक्ष बनाए, जिनमें गुर्जर, यादव और अन्य पिछड़े वर्ग के नेता शामिल हैं। संदेश साफ है और कांग्रेस ने यह स्वीकार भी कर लिया है कि 2029 के रोडमैप में ओबीसी ही गेम-चेंजर साबित होंगे। पांच एससी जिला अध्यक्ष और नूंह में साहिदा खान के रूप में एक मुस्लिम चेहरे को मौका देकर मेवात में कांग्रेस की परंपरागत पकड़ को मजबूत करने की कोशिश की है।

बहरहाल, कांग्रेस द्वारा जारी की गई जिला अध्यक्षों की सूची का गुणा-भाग राजनीतिक हलकों में हो रहा है। इस लिस्ट से स्पष्ट है कि चुनाव के दौरान जाटों पर दांव खेलने वाली कांग्रेस अब संगठन में जातीय विविधता का चेहरा दिखा रही है। यह रणनीति साफ इशारा देती है कि आगामी राजनीतिक मुकाबले में कांग्रेस सिर्फ परंपरागत वोट बैंक पर नहीं, बल्कि हर तबके में पैठ बनाने के मूड में है।

महिलाओं की ‘नजरअंदाजी’

33 प्रतिशत आरक्षण की वकालत करने वाली कांग्रेस खुद संगठन में महिलाओं को लेकर फेल हो गई। 32 में सिर्फ एक महिला जिला अध्यक्ष, वह भी सैलजा कोटे से संतोष बेनीवाल को सिरसा की जिला अध्यक्ष बनी हैं। केंद्र की मोदी सरकार राजनीति में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल पास कर चुकी है। कांग्रेस भी 33 प्रतिशत आरक्षण की वकालत करती रही है। राहुल गांधी ने चंडीगढ़ में जब केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ पहली मीटिंग की थी तो उसमें संगठन में महिलाओं को अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देने के निर्देश दिए थे।

नए बनाम पुराने चेहरे

1,100 से ज्यादा आवेदकों में से हाईकमान ने केवल दो पूर्व विधायकों को जिला अध्यक्ष बनाया। बाकी जगह नए चेहरों को मौका और कई दिग्गजों के नाम लिस्ट से बाहर हो गए। इनमें कई पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता भी शामिल थे। लेकिन केंद्रीय पर्यवेक्षकों की फीडबैक रिपोर्ट के बाद हाईकमान ने केवल दो ही पूर्व विधायकों को जिला अध्यक्ष बनाया है। इनमें लाडवा के पूर्व विधायक मेवा सिंह को कुरुक्षेत्र और तावड़ू (अब खत्म हो चुकी सीट) से पूर्व विधायक साहिदा खान को नूंह की प्रधानगी मिली है।

कुछ ऐसे समझिए जातिगत संतुलन

  • ‘जाटलैंड’ में गैर-जाटों पर दांव, ओबीसी-एससी को भी बड़ा हिस्सा

हरियाणा में कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों की नई सूची जारी करते हुए जातीय संतुलन का ऐसा समीकरण खड़ा किया है, जिसमें जाटलैंड में भी गैर-जाटों को खास तवज्जो दी गई है। विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण के वक्त जाट चेहरों का पलड़ा भारी था, लेकिन इस बार संगठन में तस्वीर अलग है।

  • जाटों की संख्या घटाई, गैर-जाटों को बढ़ाया

पार्टी ने सिर्फ छह जाट नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया है। खास बात यह कि रोहतक और झज्जर जैसे पारंपरिक जाट गढ़ों में भी गैर-जाट जिला अध्यक्ष बैठा दिए हैं। भिवानी (ग्रामीण) से अनिरुद्ध चौधरी, जींद से रिषीपाल सिंह, कुरुक्षेत्र से मेवा सिंह, सोनीपत (ग्रामीण) से रमेश मलिक और संजीव कुमार दहिया। जबकि एक जाट सिख चेहरा - परविन्दर परी (अंबाला कैंट) सैलजा खेमे से जुड़ा हुआ है।

  • पंजाबी, बनिया, राजपूत और ब्राह्मण संतुलन

सामान्य वर्ग में 9 गैर-जाट चेहरे सामने आए हैं। तीन पंजाबी (कमल दीवान, पंकज डाबर, पराग गाबा), दो बनिये (बजरंग दास गर्ग, पंकज अग्रवाल), दो राजपूत (दुष्यंत चौहान, संजय चौहान) और दो ब्राह्मण (बलजीत कौशिक, अरविंद शर्मा)। ये नियुक्तियां शहरी बेल्ट और व्यापारिक क्षेत्रों को ध्यान में रखकर की गई लगती हैं।

  • बीजेपी की चाल का जवाब

प्रदेश की सबसे बड़ी वोट-बैंक ओबीसी पर फोकस करते हुए कांग्रेस ने 10 पिछड़ा वर्ग नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया है। चार गुर्जर (रामचंद्र गुर्जर, नेत्रपाल अधाना, सुभाष चंद्र चावड़ी, नरपाल सिंह), 3 यादव (वर्द्धन यादव, सत्यवीर यादव, संजय यादव) और 3 बीसी-बी वर्ग (प्रदीप गुलिया, कुलदीप सिंह, देवेंद्रा पाल) के नेताओं को जिम्मेदारी मिली है। यह कदम सीधे तौर पर बीजेपी के नायब सिंह सैनी को सीएम बनाए जाने के बाद के राजनीतिक संदेश का काउंटर है।

  • एससी और मुस्लिम को भी अहमियत

पांच जिलों की कमान अनुसूचित जाति के नेताओं को मिली है। इनमें सुशील धानक, ब्रज लाल, राजेश वैद्य, प्रवीन चौधरी और बलवान सिंह रंगा शामिल हैं। वहीं मुस्लिम बाहुल्य नूंह में साहिदा खान को जिला अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने अल्पसंख्यक वर्ग को भी सशक्त संदेश देने की कोशिश की है।

यह रहा जातिगत कार्ड

जाति         संख्या

जाट             6

बनिया         2

राजपूत        2

ब्राह्मण          2

पंजाबी         3

गुर्जर           4

यादव          3

बीसी-बी      3

एससी         5

मुस्लिम      1

जट सिख    1

कुल       32

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