अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए LIC की बचत का दुरुपयोग किया गया, कांग्रेस का आरोप
LIC and Adani: कांग्रेस ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का व्यवस्थित रूप...
LIC and Adani: कांग्रेस ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग किया गया।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि संसद की लोक लेखा समिति (PAC) को इसकी जांच करनी चाहिए क्योंकि यह विषय उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। कांग्रेस के आरोपों पर फिलहाल अदाणी समूह या सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, "मीडिया में हाल ही में कुछ परेशान करने वाले खुलासे सामने आए हैं कि किस तरह ‘मोदानी जॉइंट वेंचर' ने LIC और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का व्यवस्थित तौर पर दुरुपयोग किया।''
उन्होंने कहा, ‘‘आंतरिक दस्तावेज़ बताते हैं कि भारतीय अधिकारियों ने मई, 2025 में एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया और उसे आगे बढ़ाया, जिसके तहत LIC की लगभग 34,000 करोड़ रुपये की धनराशि को अडाणी समूह की विभिन्न कंपनियों में निवेश किया गया।"
उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट के अनुसार, इसका उद्देश्य “अदाणी समूह में विश्वास का संकेत देना” और “अन्य निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना” था।
कांग्रेस ने पूछे ये सवाल
- सवाल उठता है कि वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों ने किसके दबाव में यह तय किया कि उनका काम गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही एक निजी कंपनी को बचाना है?
- उन्हें सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध LIC को निवेश करने के निर्देश देने का अधिकार किसने दिया?
- क्या यह "मोबाइल फ़ोन बैंकिंग" जैसा ही मामला नहीं है?"
सरकार पर लगाया आरोप
रमेश ने कहा, "जब 21 सितंबर, 2024 को गौतम अदाणी और उनके सात सहयोगियों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में आरोप तय किए गए, तो केवल चार घंटे की ट्रेडिंग में ही LIC को 92 करोड़ अमेरिकी डॉलर (7,850 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ। इससे पता चलता है कि सार्वजनिक धन को चहेते कॉरपोरेट घरानों (क्रोनी कंपनियों) पर लुटाने की कीमत कितनी भारी पड़ती है।"
रमेश ने दावा किया, "अदाणी पर भारत में महंगे सौर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए 2,000 करोड़ (25 करोड़ डॉलर) की रिश्वत योजना बनाने का आरोप है। मोदी सरकार लगभग एक साल से प्रधानमंत्री के इस करीबी मित्र को अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग का समन आगे बढ़ाने से इनकार कर रही है।"
उन्होंने कहा कि "मोदानी महाघोटाला" बेहद व्यापक है और इसमें यह कई पहलू शामिल है। " कांग्रेस नेता ने कहा, "ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करके अन्य निजी कंपनियों पर दबाव डाला गया, ताकि वे अपनी संपत्तियाँ अदाणी समूह को बेच दें। हवाई अड्डों और बंदरगाहों जैसे महत्वपूर्ण और अवसंरचना संसाधनों का पक्षपाती निजीकरण किया गया ताकि उसका लाभ केवल अदाणी समूह को ही मिले।"
उन्होंने दावा किया कि राजनयिक संसाधनों का दुरुपयोग करके विभिन्न देशों में, खासकर भारत के पड़ोसी देशों में, अदाणी समूह को ठेके दिलवाया गया। रमेश ने आरोप लगाया, "अदाणी के करीबी सहयोगी नासिर अली शबान अहली और चांग चुंग-लिंग द्वारा शेल कंपनियों के मनी-लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का उपयोग करते हुए "ओवर-इनवॉइस" (आधिक दाम दिखाकर) करते हुए कोयले का आयात किया गया, जिसके कारण गुजरात में अदाणी पावर स्टेशनों से मिलने वाली बिजली की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी हुई।"
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में असामान्य रूप से ऊंची कीमतों पर चुनाव-पूर्व बिजली आपूर्ति समझौते और चुनावी राज्य बिहार में एक बिजली संयंत्र के लिए हाल ही में एक रुपये प्रति एकड़ की दर से भूमि का आवंटन किया गया।
कांग्रेस महासचिव ने इस बात पर जोर दिया कि इस पूरे "महाघोटाले" की जांच केवल संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा ही की जा सकती है। उनका कहना है, "पहले कदम के तौर पर, संसद की लोक लेखा समिति (PAC) को यह पूरी तरह जांच करनी चाहिए कि LIC को अदाणी समूह में निवेश करने के लिए कैसे मजबूर किया गया। यह जांच पूरी तरह उसके अधिकार क्षेत्र में आती है।"
एलआईसी ने लेख पर दी प्रतिक्रिया
वहीं, एलआईसी ने द वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा लगाए गए यह आरोपों को गलत करार दिया है। एलआईसी ने एक्स पर एक पोस्ट साझा कर कहा कि निवेश निर्णय बाहरी कारकों से प्रभावित होते हैं, पूरी तरह असत्य, निराधार और तथ्यों से परे हैं।
LIC denies false reports by The Washington Post, reaffirming all investments are made with integrity and due diligence.#LIC #HarPalAapkeSaath #washingtonpost pic.twitter.com/RQ0N2AvBA1
— LIC India Forever (@LICIndiaForever) October 25, 2025
एलआईसी द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज़ या योजना तैयार नहीं की गई है, जैसा कि लेख में दावा किया गया है, जिसमें एलआईसी द्वारा अदाणी समूह की कंपनियों में निवेश के लिए कोई रोडमैप बनाया गया हो।
एलआईसी के सभी निवेश निर्णय स्वतंत्र रूप से, निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार और विस्तृत जांच-पड़ताल (due diligence) के बाद लिए जाते हैं। वित्तीय सेवाएं विभाग या कोई अन्य निकाय इन निर्णयों में कोई भूमिका नहीं निभाता।

