हरियाणा विधानसभा ने लोकसभा के संविधान एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के सहयोग से चंडीगढ़ स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में दो दिवसीय विधायी ड्राफ्टिंग एवं क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसका उद्घाटन किया और विधायी प्रक्रिया एवं प्रशिक्षण की महत्ता पर जोर दिया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण, कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर फरीद तथा हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा भी उपस्थित रहे।
ओम बिरला ने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग लोकतांत्रिक व्यवस्था की धुरी है। स्पष्ट, सरल एवं पारदर्शी कानून ही लोकतंत्र को सशक्त बनाते हैं और जनता का शासन-प्रशासन में विश्वास मजबूत करते हैं। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुरूप नये कानून बनाना और पुराने कानूनों में संशोधन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रशिक्षण से हम ऐसे विधायी मसौदे तैयार करें, जो नागरिकों के कल्याण और राज्य के विकास के लिए प्रभावी साबित हों।
ओम बिरला ने हरियाणा को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने वाला राज्य बताते हुए कहा कि प्रदेश ने सांस्कृतिक, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
भविष्य की चुनौतियों का ध्यान रखें : नायब सैनी
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग सिर्फ तकनीकी अभ्यास नहीं, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने और जनता के करीब लाने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि अच्छे और स्पष्ट कानून ही लोकतंत्र की असली ताकत हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्राफ्ट तैयार करते समय भविष्य की चुनौतियों और तकनीकी बदलाव को ध्यान में रखना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कानून में संविधान की मूल भावना, न्यायपालिका के दिशा-निर्देश, कार्यपालिका की जरूरतें और जनता की आकांक्षाओं का संतुलन होना चाहिए। हर कानून में सामाजिक न्याय, समानता और समावेशिता झलके। विधानसभा केवल बहस और चर्चा का मंच नहीं, बल्कि जनता की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है।
स्पष्टता, सटीकता और समानता जरूरी : स्पीकर
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग लोकतंत्र की सबसे बड़ी सेवा है। इसका मतलब है नीति को कानूनी भाषा में बदलना, ताकि वह साफ, सटीक और जनता के लिए आसानी से समझने योग्य कानून बन जाए। उन्होंने कहा कि कानून ऐसी भाषा में हो कि कोई भी नागरिक आसानी से समझ सके। शब्दों का चयन ऐसा हो कि दो अर्थ न निकलें। इसी तरह पूरे कानून में नियम और शैली एक समान होने चाहिए। उन्होंने वर्ष 2015 के श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि अधूरी विधायी भाषा के कारण कानून असंवैधानिक घोषित हो सकता है।
न्याय, समानता और पारदर्शिता : मिड्ढा
हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने कहा कि विधायक केवल जनप्रतिनिधि नहीं, बल्कि समाज के समाधानकर्ता भी होते हैं। उन्होंने जोर दिया कि स्पष्ट भाषा और सटीक संरचना ही विधायी मसौदे को समाज में न्याय, समानता और पारदर्शिता का माध्यम बनाती है। मिड्ढा ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली के सहयोग से डिप्लोमा एवं प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है।
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प्रशिक्षण से विधायी दक्षता बढ़ाने का अवसर :
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सीखने का महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने बताया कि कानून में छोटी-सी कमी भी गलत उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो सकती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा की पहल अत्यंत सराहनीय है, जिसने अधिकारियों को विधायी प्रक्रिया और कानून निर्माण की बारीकियों से परिचित कराया। इस प्रशिक्षण से अधिकारियों को उनकी क्षमता निखारने और अनुभव बढ़ाने का अवसर मिलेगा।