CJI BR Gavai दशकों तक चलते हैं मुकदमे, भारतीय न्याय व्यवस्था अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है : सीजेआई गवई
हैदराबाद, 13 जुलाई (एजेंसी):
मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने शनिवार को कहा कि देश की न्याय प्रणाली आज अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझ रही है। उन्होंने चिंता जताई कि कई बार मुकदमे इतने लंबे खिंचते हैं कि विचाराधीन कैदी वर्षों जेल में बिताने के बाद निर्दोष साबित होते हैं।
सीजेआई गवई हैदराबाद स्थित एनएएलएसएआर लॉ यूनिवर्सिटी (NALSAR University of Law) के दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे विदेश में उच्च शिक्षा छात्रवृत्तियों के माध्यम से हासिल करें, जिससे परिवार पर आर्थिक बोझ न पड़े।
लंबित मामलों की गंभीरता पर जताई चिंता
सीजेआई ने कहा, “हमारी न्याय प्रणाली में देरी अब एक संरचनात्मक चुनौती बन चुकी है। हमने कई मामलों में देखा है कि कोई व्यक्ति वर्षों तक जेल में रहता है और अंततः अदालत उसे निर्दोष घोषित कर देती है।”
उन्होंने यह टिप्पणी उस संदर्भ में की, जब देश की निचली अदालतों में लाखों मामले वर्षों से लंबित हैं और विचाराधीन कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
अमेरिकी न्यायाधीश के उद्धरण का संदर्भ
सीजेआई गवई ने अमेरिका के वरिष्ठ जिला न्यायाधीश जेड एस. रैकोफ की पुस्तक "व्हाय द इनोसेंट प्लीड गिल्टी एंड द गिल्टी गो फ्री: एंड अदर पैराडॉक्सेज़ ऑफ़ आवर ब्रोकन लीगल सिस्टम"का उल्लेख किया।
उन्होंने रैकोफ के कथन को उद्धृत करते हुए कहा: “हालांकि मैं मानता हूं कि हमारी न्याय प्रणाली को व्यापक सुधार की आवश्यकता है, फिर भी मुझे आशा है कि हमारे नागरिक इस चुनौती का समाधान निकालेंगे।”
गवई ने यह भी जोड़ा कि भारत की न्यायिक व्यवस्था एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां पारदर्शिता, त्वरित न्याय और विधिक सुधार अत्यंत आवश्यक हैं।
भावी वकीलों को मूल्यों पर आधारित मार्गदर्शन
सीजेआई गवई ने पासआउट छात्रों को ईमानदारी और नैतिकता के मार्ग पर चलने की सलाह दी। उन्होंने कहा,
“अपने लिए ऐसे मेंटर्स चुनें जो आपको सत्य और ईमानदारी का मार्ग दिखाएं, न कि केवल सत्ता के केंद्र तक पहुंचने का साधन बनें।”
उन्होंने ज़ोर दिया कि भारत को ऐसे युवा वकीलों की ज़रूरत है जो न केवल पेशेवर दृष्टि से सक्षम हों, बल्कि सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार और नैतिक रूप से सजग भी हों।
छात्रों को दी विदेश में पढ़ाई की सलाह
सीजेआई ने छात्रों से विदेश में पढ़ाई के अवसरों का लाभ छात्रवृत्ति के माध्यम से उठाने का आग्रह किया, ताकि परिवार पर वित्तीय भार न पड़े। उन्होंने कहा, “देश को आपकी प्रतिभा की आवश्यकता है। आपकी शिक्षा, भारत के भविष्य को दिशा दे सकती है, लेकिन यह जरूरी है कि आप वित्तीय विवेक के साथ शिक्षा ग्रहण करें।”
दीक्षांत समारोह में प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी
इस अवसर पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा, और तेलंगाना हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुजॉय पॉल भी उपस्थित रहे।