नयी दिल्ली, 10 जनवरी (एजेंसी) दवा कंपनी सिप्ला अमेरिकी बाजार से गैस्ट्रिक अल्सर के इलाज में उपयोग होने वाली दवा के 58 लाख से अधिक पैकेट वापस मंगा रही है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। औषधि कंपनी 10 एमजी, 20 एमजी और 40 एमजी की क्षमता वाली एसोमेप्राजोल मैगनेशियम दवा अमेरिकी बाजार से वापस मंगा रही है। सिप्ला ने इन दवाओं को महाराष्ट्र स्थित कुरकुंभ कारखाने में विनिर्माण किया था और उसे बाद में अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित अनुषंगी इकाई को भेजा था। यूएसएफडीए के अनुसार अन्य उत्पादों के साथ संक्रमित होने से कंपनी इन दवाओं को वापस मंगा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि औषधीय तत्व क्रॉसपोवीडोन, एनएफ थेयोफिलाइन से संक्रमित पाया गया। अमेरिकी नियामक के अनुसार कंपनी 10 एमजी क्षमता के 2,84,610 पैकेट और 20 एमजी के 2,89,350 पैकेट दवा वापस मंगा रही है। साथ ही कंपनी 40 एमजी क्षमता के एसोमेप्राजोल मैगनेशियम के 6,491 पैकेट वापस मंगा रही है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।