भारत के मिसाइल परीक्षणों पर चीन के नये राडार की नजर
नयी दिल्ली, 8 मार्च
चीन ने अपनी निगरानी क्षमता बढ़ाते हुए एक नया अत्याधुनिक राडार स्थापित किया है, जो बंगाल की खाड़ी में भारत के बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों का वास्तविक समय में पता लगाकर उन्हें ट्रैक कर सकता है। इस 'लार्ज फेज्ड ऐरे राडार' (एलपीएआर) को युन्नान प्रांत में चीन-म्यांमार सीमा के पास लगाया गया है।
भारत के लिए खतरा है इस राडार की रेंज, जो 5000 किलोमीटर से अधिक है। इससे हिंद महासागर और भारतीय क्षेत्र में भी गहन निगरानी संभव हो सकेगी। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को चेताया है कि एलपीएआर वास्तविक समय में भारत के बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों का पता लगा सकता है, विशेष रूप से ओडिशा तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किए गये परीक्षणों पर। इस लोकेशन का इस्तेमाल अग्नि-5 मिसाइलों और पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाली के-4 मिसाइलों के परीक्षण के लिए किया जाता है। भारतीय मिसाइल प्रक्षेपण स्थल चीन के नये राडार स्टेशन के स्थान से लगभग 2000-2200 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है। यानी यह राडार की रेंज में है, जिससे बीजिंग ऐसी सभी मिसाइलों के सिग्नल प्राप्त कर सकता है।
बीजिंग की रणनीतिक राडार तैनाती चीन को खाड़ी और बंगाल में महत्वपूर्ण समुद्री एवं सैन्य गतिविधियों के साथ ही मलक्का के महत्वपूर्ण जलडमरूमध्य पर नजर रखने की सुविधा देगी। यह कोरला और शिनजियांग में चीन के मौजूदा राडारों का पूरक होगा।
एयरोस्पेस फोर्स के 'बेस 37' को कमान
सूत्रों ने बताया कि एलपीएआर को 'बेस 37' की कमान और नियंत्रण में रखा गया है, जिसका काम विदेशी स्पेस ऑब्जेक्ट्स पर नजर रखना और मिसाइल पूर्व चेतावनी पर ध्यान केंद्रित करना है। यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरोस्पेस फोर्स (पीएलएएएसएफ) का हिस्सा है। एलपीएआर स्टेशन मिसाइलों और विमानों का शीघ्र पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीन वर्तमान में कम से कम सात ऐसे स्टेशन संचालित कर रहा है। एलपीएआर रेडियो, टीवी, जीपीएस सिग्नल और नागरिक विमानन नेविगेशन जैसी स्थानीय संचार प्रणालियों में इलेक्ट्रॉनिक व्यवधान पैदा कर सकता है।