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भारत-पाक संघर्ष में चीन ने टेस्ट किये अपने हथियार

उप सेना प्रमुख का खुलासा- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीन शत्रुओं से लड़ी सेना
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मामला चाहे युद्ध क्षेत्र का हो या धर्म का, भारत पर चीन चौतरफा दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के खिलाफ पाकिस्तान केवल सामने का चेहरा था, उसके पीछे था चीन। उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने शुक्रवार को सीधे यह आरोप लगाते हुए कहा कि तुर्किये ने भी पाकिस्तान को सैन्य सहायता दी थी। इस बीच, दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी को लेकर चीन ने भारत को आंखें दिखाई हैं। इस पर रिजिजू ने अपना बयान दोहराते हुए जवाब दिया कि दलाई लामा के सभी अनुयायी चाहते हैं कि अपना उत्तराधिकारी वह खुद चुनें।

नयी दिल्ली, 4 जुलाई (एजेंसी)

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उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि चीन ने भारत को तकलीफ पहुंचाने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल किया। भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच मई में चार दिनों तक चले संघर्ष के दौरान चीन अपने सदाबहार सहयोगी को हरसंभव सहायता प्रदान कर रहा था। उद्योग चैंबर ‘फिक्की’ को संबोधित करते हुए सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष का इस्तेमाल अपनी विभिन्न हथियार प्रणालियों के परीक्षण के लिए एक ‘प्रयोगशाला’ की तरह किया।

उप सेना प्रमुख ने कहा कि भारत वास्तव में तीन शत्रुओं का सामना कर रहा था। चीन के अलावा तुर्किये भी इस्लामाबाद को सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति में प्रमुख भूमिका निभा रहा था।

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने चीन की ‘36 चालों’ की प्राचीन सैन्य रणनीति और ‘उधार के चाकू’ से दुश्मन को मारने की रणनीति का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि बीजिंग ने भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान को हरसंभव समर्थन दिया। उप सेना प्रमुख ने कहा कि इस्लामाबाद को बीजिंग का समर्थन आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों का 81 प्रतिशत सैन्य साजो-सामान चीन से आता है। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, ‘चीन उत्तरी सीमा पर खुद सीधे टकराव में पड़ने के बजाय भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पड़ोसी देश का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करता है। भारत के खिलाफ पाकिस्तान केवल सामने का चेहरा था, जबकि असली समर्थन चीन से मिल रहा था।’

दलाई लामा मुद्दे पर ड्रैगन की आंखें लाल, रिजिजू का पलटवार

बीजिंग/ नयी दिल्ली (एजेंसी) : केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की इस टिप्पणी पर चीन ने शुक्रवार को आपत्ति जताई कि दलाई लामा को अपनी इच्छानुसार उत्तराधिकारी का चुनाव करना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, ‘भारत को 14वें दलाई लामा की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति के प्रति स्पष्ट होना चाहिए और ‘शिजांग’ (तिब्बत) से संबंधित मुद्दों पर हस्तक्षेप बंद करना चाहिए। भारत को अपने शब्दों और कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए। चीन-भारत संबंधों के सुधार और विकास को प्रभावित करने वाले मुद्दों से बचना चाहिए।’ रिजिजू ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अगले दलाई लामा पर फैसला सिर्फ स्थापित संस्था और दलाई लामा लेंगे, इसमें कोई और शामिल नहीं होगा। शुक्रवार को रिजिजू ने इस मुद्दे पर फिर बयान दिया। उन्होंने कहा, दलाई लामा के सभी अनुयायी चाहते हैं कि उन्हें स्वयं अपना उत्तराधिकारी चुनना चाहिए। रिजिजू ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह भारत सरकार की ओर से प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं और न ही चीन के बयान पर कोई राय व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मैं एक श्रद्धालु के तौर पर बोल रहा हूं।

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