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China India Relations अरुणाचल प्रदेश की महिला शंघाई एयरपोर्ट पर हिरासत में, भारत के हस्तक्षेप से 18 घंटे बाद रिहाई

भारतीय दूतावास की त्वरित कार्रवाई से महिला सुरक्षित बाहर निकली
प्रतीकात्मक चित्र
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अरुणाचल प्रदेश में जन्मी एक भारतीय महिला को रविवार को शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा कथित रूप से अपमानित किया गया और करीब 18 घंटे हिरासत में रखा गया। अधिकारियों ने उसके भारतीय पासपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया और जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश ‘चीन का हिस्सा’ है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर कड़ा विरोध-पत्र (डिमार्शे) जारी किया है।

विदेश मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद महिला को देर रात हिरासत से रिहा कराया गया। अधिकारी ने कहा कि दूतावास ने मौके पर पहुंचकर मदद की और यह स्पष्ट किया कि हिरासत का आधार बिल्कुल हास्यास्पद था, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और वहां के निवासी भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा करने के पूर्ण अधिकारी हैं।

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भारत ने अपने डिमार्शे में कहा कि चीनी अधिकारियों की यह कार्रवाई नागरिक उड्डयन से जुड़े शिकागो और मॉन्ट्रियल कन्वेंशनों का उल्लंघन है। अधिकारी ने कहा कि जब दोनों देश संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं, तब ऐसी घटनाएं अनावश्यक रुकावटें पैदा करती हैं।

जानिये क्या है पूरा मामला

प्रेमा वांगजॉम थोंगदोक, जो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा की रहने वाली हैं और वर्तमान में ब्रिटेन में रहती हैं, 21 नवंबर को लंदन से जापान की यात्रा के दौरान ट्रांजिट में थीं। पासपोर्ट पर ‘अरुणाचल प्रदेश’ देखते ही चीनी अधिकारियों ने उसे ‘अमान्य’ बताया।

थोंगदोक ने बताया कि कई अधिकारी और एयरलाइन कर्मचारी उनका मजाक उड़ाते रहे और यहां तक कि ‘चीनी पासपोर्ट बनवाने’ की सलाह भी दी। वैध जापानी वीजा होने के बावजूद उन्हें कनेक्टिंग फ्लाइट में नहीं चढ़ने दिया गया, पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और नया टिकट खरीदने का दबाव बनाया गया। घंटों की हिरासत के दौरान उन्हें भोजन, इंटरनेट और बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करवाई गईं।

भारतीय अधिकारी रात में ही एयरपोर्ट पहुंचे

अंततः थोंगदोक ने ब्रिटेन में अपने एक मित्र से संपर्क किया, जिसने भारतीय वाणिज्य दूतावास को सूचित किया। भारतीय अधिकारी रात में एयरपोर्ट पहुंचे, भोजन उपलब्ध कराया और बातचीत के बाद उनकी रिहाई सुनिश्चित की।

थोंगदोक ने इसे ‘भारत की संप्रभुता का सीधा अपमान’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले को कड़े स्तर पर उठाने की अपील की है।

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